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________________ एक रोटी बनाई । जब सेठ साहब भोजन के लिए बैठे तब अन्य स्वादिष्ट भोजन के साथ उस सड़े हुए अन्न की रोटी भी थाली में परोस दी । ँ काली और विचित्र आकार वाली रोटी देखकर सेठजी ने सोचा, यह नई चीज है । अतः पहला ग्रास उन्होंने उसी रोटी का लिया, पर मुँह में जाते ही सारे मुँह का जायका ही बिगड़ गया । सेठजी ने स्नेह से पुत्रवधू को कहा-बेटी ! घर में आटा बहुत है फिर यह सड़ा हुआ आटा कहाँ से लाई ? एक ग्रांस से ही मेरा जी मचल उठा । पुत्रवधू ने बहुत ही नम्रता से कहा - पिताजी ! अन्नक्षेत्र में इसी आटे की रोटियाँ बनती हैं और ये हो रोटियाँ भूख से छटपटाते हुओं को दी जाती हैं। मैंने ग्रन्थों में पढ़ा है कि जो यहाँ पर दिया जाता है वही परलोक में मिलता है । आपको भी परलोक में इसी आटे की रोटियाँ मिलेंगीं । मैंने सोचा अभी से आपको इसे खाने का अभ्यास हो जायेगा तो बाद में आपको कष्ट नहीं होगा । बहूरानी के कहने के तरीके ने सेठ के हृदय पर गहरा असर किया। उसी दिन से सड़ा-गला आटा बाहर फिंकवा दिया और अन्नक्षेत्र में बढ़िया आटे की रोटियाँ बनने लगीं । ७० बोलती तसवीरें Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003197
Book TitleBolti Tasvire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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