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________________ ६२ अमिट रेखाएं गया। उस ज्ञानी ने आशीर्वाद प्रदान करने के पश्चात् आने का कारण पूछा-नवयुवक ने कहा-आप महान् हैं। आपके दिव्य ज्ञान की प्रशंसा स्वयं कुलदेवी ने की है, कि आपके पास जो भी व्यक्ति जटिल से जटिल समस्या लेकर आता है वह समाधान पाकर प्रसन्नतापूर्वक लौटता है। मेरी भी अनेक समस्यायें हैं, मैं उन समस्याओं के समाधान की आशा लेकर आया हूँ। ज्ञानी पुरुष ने कुछ क्षणों तक युवक को पैनी दृष्टि से देखा, फिर कहा-तुम्हारे कितने प्रश्न हैं ? मैं सिर्फ तीन प्रश्नों से अधिक प्रश्नों का उत्तर नहीं दूंगा। नवयुवक कुछ झिझका। तथापि साहस बटोर कर उसने कहा-भगवन् ! सुझे आपसे चार प्रश्न ही पूछने हैं। एक मेरा स्वयं का है और तीन प्रश्न अन्य व्यक्तियों के हैं जिनका मार्ग में मैंने आतिथ्य ग्रहण किया था। आप मुझ पर विशेष अनुग्रह कर चारों प्रश्नों का समाधान प्रदान करें। यदि एक भी प्रश्न अधूरा रहा ता मैं कठिनाई में फंस जाऊंगा। ज्ञानी पुरुष ने दृढ़ता के साथ कहा- मैं तीन से अधिक प्रश्नों का उत्तर नहीं दूंगा। यदि तुमने अधिक लोभ किया तो हानि को संभावना है। ___ नवयुवक चिन्तित हो गया, युवक को अपनी समस्या भी परेशान कर रही थी, साथ ही तीनों को दिया गया वचन भी वह निभाना चाहता थी। वह अपनी समस्या की तरह उनकी भी समस्या का समाधान चाहता था । Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003195
Book TitleAmit Rekhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1973
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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