SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : १६ : पाप की स्मृति एक वृद्धा माँ का पुत्र बुरी संगति के कारण डाकू बन गया । जब वह कहीं पर डाका डालकर लौटता तो बूढ़ी माँ एक कमरे में एक लोहे की कील गाड़ देती थी । जब कभी भी वह कोई भी बुरा कार्य करके लौटता तब भी वह उसी प्रकार कील गाड़ देती थी । वह पूरा कमरा कीलों से भर गया था । एक दिन उसका लड़का उस कमरे में पहुँचा । सम्पूर्ण कमरे को कीलों से गड़ा हुआ देखकर आश्चर्य चकित हो गया । उसने पूछा- माँ ! यह सारा कमरा कीलों से क्यों भरा है ? इतनी सारी कीलें इसमें क्यों गाड़ी हैं ? वत्स ! ये सारे तेरे बुरे कार्य हैं । जब भी तू कोई बुरा कार्य करता, मैं उसी समय एक कील गाड़ देती रही । देख ले तेने अपनी छोटे से जीवन में कितने बुरे काम किये हैं, सारा कमरा कोलों से भर गया है । Jain Education Internationalte & Personal [email protected]
SR No.003194
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy