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________________ प्रतिपादन नहीं हुआ है। साधना के अमर राही की दैनिक जीवनचर्या कैसी होनी चाहिए ? तन, मन और वचन की प्रवृत्ति को किस प्रकार आध्यात्मिक साधना की ओर मोड़ना चाहिए? यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है। उपनिषदों में ब्रह्मवार्ता तो आई है पर ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करना चाहिए ? उसके लिए साधक के जीवन में किस प्रकार की योग्यता होनी चाहिए? संयम के विधि-विधान, त्याग और तप का स्पष्ट निर्देश नहीं है जैसा कि आचारांग आदि जैन आगमों में हुआ है। आचारांग में आत्मा के स्वरूप पर चिन्तन करते हुए लिखा है कि सम्पूर्ण लोक में किसी के द्वारा भी आत्मा का छेदन नहीं होता, भेदन नहीं होता, दहन नहीं होता और न हनन ही होता है। इसी की प्रतिध्वनि सुबालोपनिषद् और गीता में भी मिलती है। ___आचारांग में आत्मा के ही सम्बन्ध में कहा गया है कि जिसका आदि और अन्त नहीं है उसका मध्य कैसे हो सकता है। गौडपादकारिका में भी यही बात अन्य शब्दों में दुहराई गई है।" ___आचारांग में जन्ममरणातीत, नित्य, मुक्त आत्मा का स्वरूप प्रतिपादित करते हुए लिखा है-"उस दशा का वर्णन करने से सारे शब्द निवृत्त हो जाते हैं-समाप्त हो जाते हैं। वहाँ तर्क की पहँच नहीं और न बुद्धि उसे ग्रहण कर पाती है। कर्म-मल रहित केवल चैतन्य ही उस दशा का ज्ञाता है।" __मुक्त आत्मा न दीर्घ है, न ह्रस्व, न वृत्त-गोल । वह न त्रिकोण है, न चौरस, न मण्डलाकार है । वह न कृष्ण है, न नील, न लाल, न पीला और न शुक्ल ही वह न सुगन्धिवाला है न दुर्गन्धिवाला है। वह न तिक्त है, न कडुवा, न कषैला, न खट्टा और न मधुर । वह न कर्कश है, न मद्, वह न भारी है, न हल्का । वह न शीत है, न उष्ण, वह न स्निग्ध है, न रूक्ष । वह न शरीरधारी है, न पुनर्जन्मा है, न आसक्त । वह न स्त्री है, न पुरुष है, न नपुंसक। वह ज्ञाता है, वह परिज्ञाता है। उसके लिए कोई उपमा नहीं, वह अरूपी सत्ता है। वह अपद है। वचन अगोचर के लिए कोई पदवाचक शब्द नहीं । वह शब्द-रूप नहीं, रूप-रूप नहीं, गन्ध-रूप नहीं, रस-रूप नहीं, स्पर्श रूप नहीं। वह ऐसा कुछ भी नहीं है, ऐसा मैं कहता हूँ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003193
Book TitleJain Sahitya ke Vividh Ayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1981
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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