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________________ श्रमण संस्कृति की दार्शनिक पृष्ठभूमि सकता । उसमें स्थित अन्य धर्म भो, जिन्हें अन्य इन्द्रियों के द्वारा जाना जा सकता है, उन सबका समवेत रूप ही आम्रफल है । अतः आम्रफल का समग्र रूप सभी धर्मों के समन्वय से बन सकता है इसी प्रकार आत्मा भी अनन्त धर्मात्मक एक द्रव्य है, उसमें नित्यत्व और अनित्यत्व, एकत्व और अनेकत्व, भिन्नत्व और अभिन्नत्व, तथा सत् और असत् आदि अनन्त धर्म हैं। उन अनन्त धर्मों का समवेत पिण्ड ही आत्मा है। आत्मा को समझने के लिए उन सभी धर्मों को समझना परम आवश्यक है । दार्शनिक क्षेत्र में यह अनेकान्तवाद जैन दर्शन का एक प्रसिद्ध सिद्धान्त है । समग्र जैनदर्शन की आधारशिला इसी पर आधारित है । अहिंसा और अपरिग्रह भी जैन दर्शन के मूलभूत सिद्धान्त रहे हैं । वास्तव में अहिंसा और अनेकान्त- इन दो शब्दों में समग्र श्रमणपरम्परा का सार आ जाता है । अनेकान्त को भली भाँति समझे बिना और व्यवहार में लाए बिना अहिंसा नितांत अधूरी और लँगड़ी रहती है । अहिंसा के दो रूप हैं- विचार की अहिंसा और आचार की अहिंसा | प्रथम विचारों का क्षेत्र स्पष्ट और स्वच्छ होना चाहिए तभी आचार-विशुद्धि हो सकेगी । विचारों में तो कूड़ा-करकट भरा हो, और जीवन-व्यवहार में निस्तेज अहिंसा का दिखावा करे, तो यह अहिंसा का विशुद्ध एवं परिपूर्ण रूप नहीं होगा । अनेकान्तवाद विचारों को प्रकाशमान बनाता है। आचरण की अहिंसा से पूर्व विचार के क्षेत्र में अनेकान्तवाद का होना परम आवश्यक है । एक बार आचार्य हरिभद्र से – जो अपने युग के एक महान् दार्शनिक एवं विचारक थे, पूछा गया था कि मुक्ति किसे मिलती है ? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा - " जिस आत्मा में समभाव आ चुका है, वस्तुतः वही मुक्ति का अधिकारी है । फिर वह व्यक्ति भले ही श्वेताम्बर हो, दिगम्बर हो, बौद्ध हो, शंव हो अथवा वैष्णव हो । ' समभाव अथवा समत्व-योग यही श्रमण-संस्कृति का सारतत्त्व कहा जा सकता है । समभाव की साधना ही सच्ची साधना है । "इ २. सेयंबरो य आसंवरो य बुद्धो वा तहय अन्नो वा । भावभाविप्पा लहइ मोक्खं न सन्देहो || ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003192
Book TitleShraman Sanskruti Siddhant aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalakumar
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1971
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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