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________________ समाजसेवी उद्योगपति श्री नेमनाथ जैन--एक परिचय श्री नेमनाथ जैन का जन्म राबलपिण्डी में हुआ। उन्होंने इलैक्ट्रिकल, मैकेनिकल व बायलर टेक्नालॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। आज श्री जैन का सामाजिक, धार्मिक और औद्योगिक क्षेत्र में जाना माना नाम है। श्री जैन धार्मिक वृत्ति के साथ आधुनिक विचार के व्यक्ति हैं । आप अध्यक्ष के रूप में कई धार्मिक संस्थाओं, जैसे भारत जैन महामण्डल म. प्र., स्वाध्याय संघ, म. प्र., जैन इन्टरनेशनल म. प्र, इत्यादि से जुड़े हुए हैं। खजान-सीता पारमार्थिक ट्रस्ट के आप संस्थापक हैं। कई संस्थाओं जैसे वर्धमान जैन स्थानकवासी ट्रस्ट, महावीर स्वास्थ्य केन्द्र, जैन दिवाकर विद्या निकेतन ट्रस्ट, हस्तीमल सुन्दरबाई पारमार्थिक ट्रस्ट, सत्यसाई ट्रस्ट आदि के आप ट्रस्टी है । श्री जैन एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्वास्थ्य और शिक्षा में विशेष रुचि रखते हैं। आप कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं उनमें से प्रमुख है अंधत्व के लिए पॉल हेरीस स्कूल, रोटरी क्लब, इन्दौर, गीता भवन हास्पीटल इत्यादि। श्री जैन का व्यक्तित्व स्वनिर्मित है। वे उन व्यक्तियों में है जिन्होंने छोटे से उन्नति की सीढ़ियाँ चढ़ना प्रारम्भ किया, अपनी प्रतिभा, परिश्रम, दूरदर्शिता, सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता, अपने अधीनस्थ कार्यकर्ताओं से उनकी योग्यतानुसार कार्य लेने की कुशलता, आधुनिकतम प्रौद्योगिकी जानकारी एवं कुशल प्रशासन आदि गुणों के बल पर आज सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचे हैं। आपका हृदय बहुत ही निरभिमान तथा स्वभाव मिलनसार है। सेवा, दयालुता और धर्म एवं गुरु के प्रति समर्पण निष्ठा आदि मानवीय और आध्यात्मिक गुणों के सामंजस्य से आपका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक और जीवंत है। श्रमणसंघ के आचार्य श्री आनन्दऋषिजी म. उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी, उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनिजी आदि धर्म गुरुओं के प्रति आपकी अतीव आस्था है और लोकोपकारी कार्यों में सतत सहयोगी वृत्ति । ___ आपने प्रस्तुत पुस्तक की ४०० प्रतियों के प्रकाशन में उदार अर्थ सहयोग प्रदान किया है तदर्थ संस्था आपके सहयोग के प्रति आभार पूर्वक आशान्वित है । -चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष, श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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