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________________ विधि का विधान ११५ लेकर आपस में बाँध देता है और फिर उसके आधार से वह सही-सही बात बता देता है । राजकुमारी नन्दिनी ने कहा- गोविन्द ! तुम अभी उस बढ़े के पास जाओ और उससे पूछकर आओ कि मेरा विवाह किसके साथ होगा । गोविन्द ने कहा- राजकुमारी ! इन ज्योतिषियों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। ये झूठझूठ ही इधरउधर की बातें बतला देते हैं । यह उनके पेट भरने का धंधा है । अतः उनके चक्कर में पड़ने से कोई लाभ नहीं । राजकुमारी ने जरा कड़ककर कहा—गोविन्द ! तुम्हें मेरे आदेश का पालन करना चाहिए। मैंने तुम्हारी राय नहीं पूछी है । तुम शीघ्र ही जाओ और मेरे आदेश का पालन करो । गोविन्द ने अभिवादन करते हुए कहा - मालिकिन ! जैसी आपकी आज्ञा । मैं अभी पूछकर आता हूँ । राजकुमारी वहीं खड़ी हो गई और गोविन्द की प्रतीक्षा करने लगी । गोविन्द ने उस वृद्ध ज्योतिषी के पास जाकर उसके कान में कहा- मैं आपसे कुछ क्षणों के लिए एकान्त में बात करना चाहता हूँ । क्योंकि मैं राज मला आया हू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003186
Book TitlePanchamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1979
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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