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________________ ६८ चिन्तन के विविध आयाम : खण १ लेश्या : मनोविज्ञान और पदार्थविज्ञान मानव का शरीर, इन्द्रियाँ और मन ये सभी पुद्गल से निर्मित हैं । पुद्गल में वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श होने से वह रूपी है । जैन साहित्य में वर्ण के पांच प्रकार बताये हैं- काला, पीला, नीला, लाल और सफेद । आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से सफेद रंग मौलिक नहीं है । वह सात रंगों के मिलने पर बनता है । उन्होंने रंगों के सात प्रकार बताये हैं । यह सत्य है कि रंगों का प्राणी के जीवन के साथ बहुत ही गहरा सम्बन्ध है । वैज्ञानिकों में भी परीक्षण कर यह सिद्ध किया है कि रंगों का प्रकृति पर, शरीर पर और मन पर प्रभाव पड़ता है। जैसे लाल, नारंगी, गुलाबी, बादामी रंगों से मानव की प्रकृति में ऊष्मा बढ़ती है। पीले रंग से भी ऊष्मा बढ़ती है, किन्तु पूर्वापेक्षया कम । नीले, आसमानी रंग से प्रकृति में शीतलता का संचार होता है । हरे रंग से न अधिक ऊष्मा बढ़ती है और न अधिक शीतलता का ही संचार होता है, अपितु शीतोष्ण सम रहता है । सफेद रंग से प्रकृति सदा सम रहती है। रंगों का शरीर पर भी अद्भुत प्रभाव पड़ता है । लाल रंग से स्नायु मण्डल में स्फूर्ति का संचार होता है । नीले रंग से स्नायविक दुर्बलता नष्ट होती है, धातुक्षय सम्बन्धी रोग मिट जाते हैं तथा हृदय और मस्तिष्क में शक्ति की अभिवृद्धि होती है । पीले रंग से मस्तिष्क की दुर्बलता नष्ट होकर उसमें शक्ति-संचार होता है, कब्ज, यकृत, प्लीहा के रोग मिट जाते हैं । हरे रंग से ज्ञान-तन्तु व स्नायु मण्डल सुदृढ़ होते हैं तथा धातु क्षय सम्बन्धी रोग नष्ट हो जाते हैं । गहरे नीले रंग से आमाशय सम्बन्धी रोग मिटते हैं । सफेद रंग से नींद गहरी आती है । नारंगी रंग से वायु सम्बन्धी व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं और दमा की व्याधि भी शान्ति हो जाती है । बैंगनी रंग से शरीर का तापमान कम हो जाता है। प्रकृति और शरीर पर ही नहीं, किन्तु मन पर भी रंगों का प्रभाव पड़ता है । जैसे, काले रंग से मन में असंयम, हिंसा एवं क्रूरता के विचार लहराने लगेंगे। नीले रंग से मन में ईर्ष्या, असहिष्णुता, रस-लोलुपता एवं विषयों के प्रति आसक्ति व आकर्षण उत्पन्न होता है । कापोत रंग से मन में वक्रता, कुटिलता अंगडाइयाँ लेने लगती हैं । अरुण रंग से मन में ऋजुता, विनम्रता एवं धर्म-प्रेम की पवित्र भावनाएं पैदा होती है । पीले रंग से मन में क्रोध-मान-माया-लोभ आदि कषाय नष्ट होते हैं और साधक के मन में इन्द्रिय विजय के भाव तरंगित होते हैं । सफेद रंग से मन में अपूर्व शान्ति तथा जितेन्द्रियता के निर्मल भावों का संचार होता है । ____ अन्य दृष्टि से भी रंगों का मानसिक विचारों पर जो प्रभाव होता है उसका वर्गीकरण चिन्तकों ने अन्य रूप से प्रस्तुत किया है, यद्यपि वह द्वितीय वर्गीकरण से कुछ पृथकता लिये हुए है । जैसे, आसमानी रंग से भक्ति सम्बन्धी भावनाएँ जाग्रत होती हैं । लाल रंग से काम वासनाएँ उद्बुद्ध होती हैं । पीले रंग से तार्किक शक्ति की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003180
Book TitleChintan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1982
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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