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________________ जैन शासन-प्रभाविका अमर साधिकाएं | ५५ महासती फत्तजी के शिष्या-परिवार में महासती चम्पाजी भी एक तेजस्वी साध्वी थीं । उनकी ऊदाजी, बायाजी आदि अनेक शिष्याएं हुई । वर्तमान में उनकी शिष्या-परम्परा में कोई नहीं हैं। महासती फत्त जी की शिष्या-परम्परा में महासती दीपाजी, वल्लभकुवरजी आदि अनेक विदुषी व सेवा-भाविनी साध्वियां हुई। उनकी परम्परा में सरलमूर्ति महासती सीताजी और श्री महासती गवराजी (उमरावकुवरजी) आदि विद्यमान हैं । ___ इस प्रकार आचार्यश्री अमरसिंहजी महाराज के समय से महासती भागाजी की जो साध्वी परम्परा चली उस परम्परा में आज तक ग्यारह सौ से भी अधिक साध्वियां हुई हैं। किन्तु इतिहास लेखन के प्रति उपेक्षा होने से उनके सम्बन्ध में बहुत कम जानकारी प्राप्त है। इन सैकड़ों साध्वियों में बहुत-सी साध्वियों उत्कृष्ट तपस्विनियां रहीं। अनेकों साध्वियों का जीवनव्रत सेवा रहा । अनेकों साध्वियाँ बड़ी ही प्रभावशालिनी थीं । मैं चाहता था कि इन सभी के सम्बन्ध में व्यवस्थित एवं प्रामाणिक सामग्री प्रस्तुत ग्रन्थ में हूँ। पर राजस्थान के भण्डार जहाँ इनके सम्बन्ध में प्रशस्तियों के आधार से या उनके सम्बन्ध में रचित कविताओं के आधार से सामग्री प्राप्त हो सकती थी, पर स्वर्णभूमि के. जी. एफ. जैसे सुदूर दक्षिण प्रान्त में बैठकर सामग्री के अभाव में विशेष लिखना सम्भव नहीं था। तथापि प्रस्तुत प्रयास इतिहासप्रेमिों के लिए पथ-प्रदर्शक बनेगा इसी आशा के साथ मैं अपना लेख पूर्ण कर रहा हूँ। यदि भविष्य में विशेष प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध हुई तो इस पर विस्तार से लिखने का भाव है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003180
Book TitleChintan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1982
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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