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________________ कर्मयोगी श्रीकृष्ण के आगामी भव-एक अनुचिंतन वासुदेव श्रीकृष्ण आगामी चौबीसी में कौन से तीर्थंकर होंगे ? इसके सम्बन्ध में आगम-साहित्य में दो मान्यताएँ हैं । अन्तकृत्दशांग के अनुसार श्रीकृष्ण आगामी चौबीसी में बारहवें 'अमम' नामक तीर्थंकर होंगे। समवायाङ्ग के अनुसार वासुदेव श्रीकृष्ण तेरहवें निष्कषाय नामक तीर्थंकर होंगे। मेरे सामने आगमोदय समिति द्वारा प्रकाशित समावायाङ्ग , पूज्य श्री अमोलक ऋषि जी द्वारा सम्पादित समवायाङ्ग', पण्डित श्री दलसुख मालवणिया द्वारा सम्पादित ठाणाङ्ग-समवायाङ्ग, सुत्तागमे, पं० मुनि श्री कन्हैयालाल जी द्वारा सम्पादित समवायाङ्ग आदि सभी समवायाङ्ग की प्रतियों में वासुदेव (का जीव) तेरहवें निष्कषाय नामक तीर्थंकर होंगे, यह स्पष्ट उल्लेख है । सत्यकी का जीव बारहवां अमम नामक तीर्थंकर होगा, यह लिखा है पर पूज्य श्री घासीलालजी म. सम्पादित समवायाङ्ग में पाठ ही परिवर्तित कर दिया है । उन्होंने वासुदेव को अमम बारहवें तीर्थंकर होना लिखा है और सत्यकी को तेरहवाँ सर्वभावित् नामक तीर्थकर होना लिखा है । पूज्य श्री ने सम्भव है अन्तकृत्दशांग के पाठ से मेल बिठाने के लिए ही यह पाठ परिवर्तन किया हो, पर इस प्रकार आगमों के पाठों में परिवर्तन करना अनुचित है, अस्तु ! श्रीकृष्ण के आगामी भवों के सम्बन्ध में भी एकमत नहीं है। वासुदेव कर्मयोगी श्रीकृष्ण ने भगवान श्री अरिष्टनेमि के अठारह हजार श्रमणों को एक साथ अन्तकृत्दशांग, ५।१ पृ० २३० (आचार्य श्री आत्माराम जी म० द्वारा सम्पादित) समवायाङ्ग (आगमोदय समिति), पृ० १५३. समवायाङ्ग अभयदेववृत्ति (आगमोदय समिति), पृ० १५३ । प्रथम संस्करण, पृ० ३२५ । पृ० ७२५, ७२६, प्रकाशक-गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद, प्रथम संस्करण । सुत्तागमे, प्रथम भाग, पृ० ३८१-३८२ । पृ० १५४ । समवायाङ्ग, पृ० ११२४, ११२७ (पूज्य श्री घासीलालजी द्वारा सम्पादित)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003180
Book TitleChintan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1982
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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