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________________ परिशिष्ट १ प्रस्तुत ग्रन्थ में अनेक देशों, नगरों पर्वतों व नदियों का उल्लेख हुआ है । भगवान् अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण के युग में जिन देशों व नगरों के नाम थे आज उनके नामों में अत्यधिक परिवर्तन हो चुका है । उस समय वे समृद्ध थे तो आज वे खण्डहर मात्र रह गये हैं, और कितने ही पूर्ण रूप से नष्ट भी हो चुके हैं । कितने ही नगर आदि पुराने ही नामों से आज भी विख्यात हैं । कितने ही नगरों के सम्बन्ध में पुरातत्त्ववेत्ताओं ने काफी खोज की है । हम यहां पर प्रमुख - प्रमुख स्थलों का संक्ष ेप में वर्णन कर रहे हैं । भौगोलिक परिचय जम्बूद्वीप : जैनागमों की दृष्टि से इस विशाल भूमण्डल के मध्य में जम्बूद्वीप है । इसका विस्तार एक लक्ष योजन है और यह सबसे लघु है । इसके चारों ओर लवण समुद्र है । लवणसमुद्र के चारों ओर धातकी खण्डद्वीप है । इसी प्रकार आगे भी एक द्वीप और एक समुद्र है और उन सब द्वीपों और समुद्रों की संख्या असंख्यात है । अन्तिम समुद्र का नाम स्वयंभूरमण समुद्र है । जम्बूद्वीप से दूना विस्तार वाला २ . वहीं ० श्लोक १८ १. लोकप्रकाश सर्ग १५ श्लोक ६ ३. वहीं ० श्लोक २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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