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________________ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण हो जाये । पाण्डवों के पिता बाल्यावस्था में ही मर गये थे४ तभी से वे पुत्र की तरह आपके यहाँ पले हैं। इसलिए आप उन्हें और अपने पुत्रों को एकसा समझकर दोनों की रक्षा कीजिए। पाण्डव सन्धि और युद्ध दोनों के लिए तैयार हैं। अब आप लोगों को जो अच्छा लगे वह कीजिए ।३६ ___ कुछ देर रुककर फिर कृष्ण ने दुर्योधन से कहा-दुर्योधन ! सन्धि हो जाने पर पाण्डवश्रेष्ठ युधिष्ठिर तुम्हीं को युवराज बनायेंगे और धृतराष्ट्र महाराजा बने रहेंगे। इस कारण गले लगने आ रही राजलक्ष्मी को विमुख मत करो। पाण्डवों को आधा राज्य देकर आप भी विशाल ऐश्वर्य प्राप्त करो। मेरा अन्तिम कथन यही है कि हितैषियों की बात मानकर पाण्डवों से सन्धि कर लेने में ही तुम्हारे आत्मीय प्रसन्न होंगे। दुर्योधन को भीष्मपितामह और द्रोणाचार्य ने भी समझाया पर वह न समझा । उसने कहा-मेरे जीते जी पाण्डव राज्य प्राप्त नहीं कर सकते । यहां तक कि सुई की नोंक भर भी पृथ्वी, मैं युद्ध के बिना पाण्डवों को नहीं दे सकता।३८ दुर्मति दुर्योधन दुःशासन, शकुनि और कर्ण ने आपस में सम्मति करके यह निश्चय किया कि राजा धृतराष्ट्र और भीष्म पितामह से मिलकर चतुर कृष्ण हमें पकड़ने की इच्छा कर रहे हैं। इसलिए ३४. जैन ग्रन्थों के अनुसार पाण्डुराजा का देहान्त नहीं हुआ, वे महा भारत के युद्ध के समय उपस्थित थे। देखो-श्री देवप्रभसूरि रचित पाण्डव चरित्र सर्ग- ११ वां । ३५. बाला विहीनाः पित्रा ते त्वयैव परिवधिताः । तान्पालय यथान्यायं पुत्रांश्च भरतर्षभ ॥ -महाभारत, वहीं० ३८ ३६. महाभारत उद्योग पर्व, अ० ६५, श्लोक ६२ ३७. महाभारत उद्योग पर्व, अ० १२४ श्लोक .० से ६२ ३८. यावद्धि तीक्ष्णया सूच्या विद्ध येदग्रण केशव! । तावदप्यपरित्याज्यं भूमेनः पाण्डवान्प्रति ।। --महाभारत उद्योग पर्व, अ० १२७, श्लोक २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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