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________________ जरासंध का युद्ध २६५ उठाकर भीमसेन ने जरासंध को पृथ्वी पर पटका और घुटना मारकर उसकी पीठ की हड्डी तोड़ डाली। फिर गरजते हुए भीमसेन ने उसे पृथ्वी पर खूब रगड़ चुकने के पश्चात् बीच से उसकी टाँगें चीर डालीं। १ तत्पश्चात् तीनों वीर जरासंध के पताका यूक्त रथ में बैठकर वहाँ पहुँचे जहाँ जरासंध ने राजाओं को कैद कर रखा था। उनको बन्धन से मुक्त कर श्रीकृष्ण, भीमसेन और अर्जुन उन राजाओं के साथ गिरिव्रज से बाहर निकले ।४२ श्री कृष्ण ने जरासंध के लड़के सहदेव को मगध देश की राजगद्दी देकर राज्याभिषेक कर दिया ।४३ श्रीकृष्ण वहाँ से लौटकर इन्द्रप्रस्थ चले आये। समीक्षा ____ महाभारत के अनुसार जरासंध वध कौरवों और पाण्डवों के युद्ध से पहले हुआ। कौरव-पाण्डव युद्ध के समय जरासंध विद्यमान नहीं था।४४ ___ महाभारत के प्रस्तुत प्रसंग में श्रीकृष्ण, भीमसेन और अर्जुन ब्राह्मण स्नातक का वेश धारण करके जरासंध के पास जाते हैं, पर यह समझ में नहीं आता कि उनके गुप्त वेश धारण करने का क्या प्रयोजन था ? दूसरी बात, जरासंध की राजसभा में भीमसेन और अर्जुन मौन हो जाते हैं। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि इन लोगों ने मौनव्रत ग्रहण कर रखा है, एतदर्थ ये अभी आपसे वार्तालाप नही करेंगे। आधी रात के पश्चात् ये बोलेंगे । फिर आधी रात में जरासंध उनके पास आता है। इस कथन में भी एक प्रकार का कला-कौशल दिखलाया गया है, पर यह स्पष्ट है कि यह कला-कौशल महापुरुष के योग्य नहीं ४१. वहीं, सभापर्व २४, श्लो० ५-६ ४२. वहीं, सभापर्व २४, श्लो० १०-१३ ४३. वहीं, श्लो० ४०-४३ ४४. महाभारत देखिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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