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________________ द्वारिका में श्रीकृष्ण २४१ कहा–यदि मेरे पुत्र होगा तो हे दुर्योधन, वह तुम्हारा जामाता होगा। रुक्मिणी ने कहा- मेरा पुत्र तुम्हारा जामाता होगा। दुर्योधन ने कहा -अच्छा ! तुम दोनों में से जिसके पुत्र होगा उसे मैं अपनी पुत्री दूंगा। सत्यभामा ने कहा-अच्छा तो यह शर्त रही कि जिसका पुत्र प्रथम विवाह करे, उसके विवाह में दूसरे को अपने शिर के केश देने होंगे। रुक्मिणी ने यह शर्त स्वीकार करली--बलराम, कृष्ण और दुर्योधन इसके साक्षी नियुक्त किये गये ।६६ ___ वसुदेव हिण्डो के अनुसार रुक्मिणी सिंह का स्वप्न देखती है ।। और त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र के अनुसार एक दिन रुक्मिणी ने स्वप्न देखा कि वह एक श्वेत वृषभ के ऊपर रहे हुए विमान पर बैठी है।' यह देखकर वह शीघ्र ही जागृत हो गई। उस समय एक महद्धिक देव महाशुक्र देवलोक से च्यवकर उसके उदर में आया । प्रातःकाल श्रीकृष्ण को स्वप्न की बात कही।६७ सत्यभामा को जब यह ज्ञात हुआ तो उसने भो एक कल्पित स्वप्न की बात कही। दोनों गर्भवती हुई । रुक्मिणी के गर्भ में पुण्यवान् जीव आने से वह गूढ गर्भा थी, पर सत्यभामा के उदर में ६६. (क) भामोवाच सुतो यस्याः प्रथमं परिणेष्यति । तद्विवाहेऽन्यया केशा देयास्तस्याः स्वकाः खलु । साक्षिणः प्रतिभुवश्च रामपादा जनार्दनः । दुर्योधनश्चेत्युदित्वा स्वौको द्वे अपि जग्मतुः ।। -त्रिषष्टि० ८।६।११२-११७ (ख) कुछ परिवर्तन के साथ-हरिवंश में भी यही वर्णन है देखो हरिवंश--४३।१६-२८ । A रुप्पिणी कयाइं च सीहं मुहे अइगच्छमाणं सिमिणे पासित्ता कहेई, -वसुदेवहिण्डी पृ० ८२ प्र० भा० ६७. (क) त्रिषष्टि० ८।६।११८ (ख) भव-भावना (ग) हरिवंश पुराण ४२।२६-३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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