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________________ २३४ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण में आयी । श्रीकृष्ण को ये समाचार मिले, उसके भाई नमुची को युद्ध मार कर उसे द्वारवती लेकर आये | 33 (७) जाम्बवती : गगननन्दन में जाम्बवान नामक विद्याधर राजा था । उसकी पत्नी श्रीमती थी । उसकी पुत्री जाम्बवती थी। उसका भाई दुष्प्र सह था । ३४ जाम्बवती भी रूप में अप्सरा के समान थी । एक समय किसी चारण मुनि ने कहा यह कन्या अर्धभरतेश्वर की पत्नी होगी । जाम्बवान् उसके पति की अन्वेषणा करने के लिए गंगा के किनारे पडाव डालकर रहा । जाम्बवती भी गंगा में स्नान करने के लिए वहां पर पुनः पुनः आया करती थी । ३५ श्रीकृष्ण को यह सूचना मिली | श्रीकृष्ण अपने भाई अनावृष्टि के साथ वहां गये, और कन्या का अपहरण किया, यह सूचना जाम्बवान को मिलते ही वहां पर आया और अनावृष्टि के साथ युद्ध करने लगा । अनाधृष्टि ने कहातुम्हें स्वयं को चाहिए था कि वासुदेव श्रीकृष्ण को कन्या देते, किन्तु अपरहण करने पर तुम लड़ना चाहते हो यह तुम्हारे लिए उचित नहीं है । ६ जाम्बवान ने जब यह सुना तब वह शान्त हो गया । उसने कहाचारण श्रमण के कथन को प्रमाणभूत मानता हुआ मैं भी यही इच्छा करता था । मेरी भावना पूर्ण हो गई है, अतः अब मैं तपोवन में जाकर तप की आराधना करूंगा । आप इसके भाई दुष्प्रसह की ३३. वसुदेव हिण्डी पृ० ७६ प्र० भाग ३४. गगणनंदणे नयरे जंबवंतो राया विज्जाहरो तस्स य भज्जा सिरिमई, पुत्त जुवराया दुप्परुहो नामा, धूया य से जंबवती । - वसुदेव हिण्डी पृ० ७६ भविस्सइ त्ति आदिट्ठा । ३५. सा चारणसमणेण अद्धभरहा हिवभज्जा ततो सो जंबवंतविज्जाहरराया 'तं गवसिस्सामि' त्ति गंगातीरे सन्निवेसे सन्निविट्टो | सा य कुमारी अभिक्ख गंगानदि मज्जिउ एइ सपरिवारा । - वसुदेवहिण्डी पृ० ७६ ३६. वहीं० पृ० ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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