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________________ गोकुल और मथुरा में श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण का जन्म : श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति के जाज्वल्यमान नक्षत्र रहे हैं । जैन और वैदिक दोनों ही परम्पराओं में मुक्त कंठ से उनके यशोगान गाये गये हैं । दोनों ही परम्पराओं में वे एक महान् व्यक्ति के रूप उत किये गए हैं । वैदिक परम्परा में वे विष्णु के अवतार माने गए हैं तो जैन परम्परा में वे श्लाघनीयपुरुष एवं भावी तीर्थंकर स्वीकार किये गए हैं । जैन दृष्टि से जब श्रीकृष्ण देवकी के गर्भ में आते हैं तब माता देवकी स्वप्न में सिंह, अग्निगज, ध्वजा, विमान, और पद्म सरोवर देखती है । " श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी की अर्धरात्रि को होता है । उस समय सर्वत्र दुःख और अंधकार फैला हुआ था । मौसम भी १. ( क ) त्रिषष्टि० ८५८ (ख) वसुदेव हिण्डी अनु० पृ० ४८२ २. पुत्र नभः सिताष्टम्यां निशीथेऽसूत देवकी । कृष्णं सदेवसान्निध्यं शत्रुहपातघातिनम् ॥ Jain Education International - त्रिषष्टि० ८५११०० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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