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________________ भारतीय साहित्य में श्रीकृष्ण १७१ राजीमती नेमिनाथ का चोढाल्या-सं० १८३४, राजमती रथनेमि की सज्झाय सं० १८४१, कृष्ण-भैरी संवाद सं०.१८४३, देवकी राणो की ढाल आदि के रचयिता कवि रायचन्द्रजी म० हैं।33 भारत द्विशत पन्नत्ति के रचयिता आचार्य रामचन्द्रजी म. जो आचार्य जयमल जी म० की सम्प्रदाय के थे। मरुधरीय कविवर्य चौथमलजी म० ने भी श्रीकृष्ण लीला का निर्माण किया है । नेमिनाथ और राजुल के रचियता नेमिचन्द जी म० हैं । आचार्य खूबचन्दजी म० ने प्रद्य म्न और शाम्बकुमार की ढाल बनायी। जैन दिवाकर चौथमलजी म. ने भगवान नेमिनाथ और पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण तथा मरुधर केशरी मिश्रीमलजी म० का महाभारत, व प्रवर्तक शुक्लचंदजी म. व प्रवर्तक सूर्यमुनिजी म० का महाभारत भी सुन्दर रचनाए हैं। पं० काशीनाथ जैन का नेमिनाथ चरित्र भी सुन्दर कति है। तेरापंथी मुनियों की भी अनेक रचनाएं हैं। इस प्रकार श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में सहस्राधिक रचनाएं उपलब्ध हैं । जोधपुर, जयपुर, खांडप, पीपाड, आदि के स्थानकवासी भण्डारों को देखने का अवसर इन पक्तियों के लेखक को मिला है जहां अनेकों लेखकों की रचनाए हैं। ___ शोधप्रधान युग में श्रीकृष्ण पर पं० सुखलालजी ने 'चारतीर्थंकर' में, पं कैलाशचन्द्रजी ने जैन साहित्य के इतिहास (पूर्व पीठिका) में, श्री अगरचन्दजी नाहटा ने 'प्राचीन जैन ग्रन्थों में श्रीकृष्ण' लेख में, श्रीचन्दजी रामपुरिया ने अर्हत्अरिष्टनेमि और वासुदेव श्रीकृष्ण' महावीर कोटिया ने जिनवाणी पत्रिका व मुनि हजारीमल स्मृति ग्रन्थ में 'जैन कृष्ण साहित्य में श्रीकृष्ण' लेख लिखकर प्रकाश डाला है। तथा प्रोफेसर हीरालाल रसिकदास कापडिया ने 'वासूदेव श्रीकृष्ण अने जैन साहित्य' में अच्छा संकलन किया है। ६३. मरुधर केसरी अभिनन्दन ग्रन्थ-(लेख सन्त कविरायचन्द जी और उनकी रचनाएँ)। ३४. लेखक द्वारा सम्पादित नेमवाणी ग्रन्थ । ५. दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय, व्यावर से प्रकाशित । ३६. पाण्डव यशोरसायन-रघुनाथ ज्ञान भण्डार सोजत से प्रकाशित । ३७. अम्बाला, पंजाब से प्रकाशित । ३८. मुनिधनराजजी का जैन महाभारत आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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