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________________ 291 प्रस्तावनाओं का संकलन कर अलग से प्रकाशित किया जाय तो उसके कई खण्ड निकल सकते हैं । जिनविजय जी द्वारा सम्पादित साहित्य की तालिका निम्नांकित है विज्ञप्ति त्रिवेणी खरतरगच्छ पट्टावली संग्रह जैन लेख संग्रह भाग 1 व 2 गुजराती गद्य सन्दर्भ पुरातन प्रबन्ध संग्रह प्रबन्ध कोष कथाकोष प्रकरण जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह संदेश रासक कुमारपाल चरित्र संग्रह जय पायड निमित्त शास्त्र विज्ञप्ति लेख संग्रह कर्णामृत प्रपा प्राकृतानन्द पदार्थ रत्न मंजूषा कृपारस कोष आचारांग सूत्र प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह प्रबन्ध चिन्तामणि सुकृत कीति कल्लोलिनी विविध तीर्थ कल्प प्रभावक चरित्र धूर्ताख्यान कौतिकौमुदी महाकाव्य खरतरगच्छ बृहद गुर्वावली जम्बू चरियं, त्रिपुरा भारती लघु-स्तव बाल शिक्षा व्याकरण उक्ति रत्नाकर गोरा बादल चरित्र हम्मीर महाकाव्य ए केटलाग प्राफ संस्कृत एण्ड प्राकृत मैन्युस्कृप्ट्स-पार्ट-1; पार्ट-2 ए, बी, सी; पार्ट3 ए, बी, इत्यादि। मुनि जी ने भारतीय विद्या, जैन संशोधक, आदि कई शोधपूर्ण त्रैमासिक पत्रिकाओं का संपादन किया था और अनेकों पत्रिकाओं में आपके गंवेषणा पूर्ण लेख प्रकाशित हो चुके हैं। 61. यति नेमिचन्द्र खरतरगच्छीय यति बख्तावर चन्द जी के शिष्य थे। इनका जन्म 1948 कुकणिया बेणासर (बीकानेर) रियासत और स्वर्गकाल सं. 2009 बाडमेर में हुआ था। ये विधि-विधान के अच्छे जानकार थे। आपकी निम्न रचनायें प्रकाशित हैं: नेमिविनोद स्तवन माला जिनदत्तसूरि चरित्र गुरुदेव गुण छंदावली जैन शकुनावली हरिश्चन्द्र नाटक लेखा लीलावती पत्र पद्धति आदि। कुलपाक मंडल पूजा स्तवन रत्न मंजूषा अयवंती सुकुमार हंसवच्छ नाटक स्थ लिभद्र नाटक जैन ज्योतिष दिवाकर 62. माणिक्यरुचि ये तपागच्छीय यति थे। भीडर (मेवार्ड) इनका निवास स्थान था। इनकी दो पुस्तकें माणिक्य मंजरी और माणिक्य मनन प्रकाशित हैं। ये अच्छे कवि व उपदेशक थे। मेवाड़ केभीलों में भी उपदेश देकर मांस-मदिराछडाने का विशेष प्रयास किया था।
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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