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________________ 35 क्रिया, परिणाम और अभिप्राय में उत्तरोत्तर सूक्ष्मता उत्तर :- जब अभिप्राय को समझने का प्रयोजन हो तो और प्रश्न चिन्ह लगाने की क्या जरूरत है ? यदि उसके कारणों की तथा यथार्थताअयथार्थता की मीमांसा करना हो तो क्यों' लगाकर उसका निर्णय किया जायेगा। प्रश्न :- क्या हमारी वाणी या क्रिया के माध्यम से अभिप्राय भी व्यक्त होता है ? उत्तर :- हाँ ! कभी-कभी ऐसा भी होता है। एक बार रामलीला में हनुमान के अभिनय करने वाले पात्र को अशोक वाटिका में आकाश मार्ग से प्रवेश करके सीताजी को रामचन्द्र जी की मुद्रिका देने का अभिनय करना था। एतदर्थ रस्सी से कूदने की व्यवस्था की गई थी। अभिनय करते समय उसके कूदने के कुछ समय पहले रस्सी टूट गई और वह गिर गया। सीताजी का पात्र समझ नहीं पाया कि रस्सी टूट गई है, अतः उसने अपना संवाद बोलना प्रारम्भ किया “हे भ्राता ! आप कौन हैं ?...” परन्तु वह व्यक्ति गुस्से से बोला “भ्राता-वाता कुछ नहीं ! पहले यह बता कि रस्सी किसने काटी ?" यहाँ हम विचार करें कि वह व्यक्ति ऐसा क्यों बोला ? वह स्वयं को हनुमान नहीं, अपितु रमेश-सुरेश आदि व्यक्ति के रूप में मानता है। अतः उसकी वाणी में उसे उत्पन्न हुए क्रोध के साथ-साथ उसकी मान्यता भी झलक रही है। इसप्रकार अनेक प्रसंगों में हमारा अभिप्राय भी वाणी या क्रिया के माध्यम से व्यक्त हो जाता है। प्रश्न1. क्रिया और परिणाम की स्थूलता और सूक्ष्मता स्पष्ट कीजिये? 2. सिद्ध कीजिये कि अभिप्राय, परिणामों से भी अधिक सूक्ष्म है ? 3. हम अपने अभिप्राय को किस प्रकार समझ सकते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003168
Book TitleKriya Parinam aur Abhipray
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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