SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म पास के गांवों के जैन-जैनेतर विद्यार्थी सरकारी शिक्षण पाठ्यक्रम की शिक्षा के साथ जनधर्म की शिक्षा भी पाते है । (१५) इसी बिल्डिंग में एक फी हास्पिटाल (चिकित्सालय) भी है जहां इस क्षेत्र के रोगियों की चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के सब साधन जुटाये गये हैं । (१६) बालाश्रम में वृद्धाश्रम भी है जिसमें वृद्ध जैन स्त्री-पुरुष प्रवेश पाकर निवृत्तिमय जीवन में धर्माराधन कर प्रात्मकल्याण करने में तत्पर रहते हैं । २२२ (१७) बालाश्रम से उत्तर दिशा में सटी हुई इसी सस्था की बाटिका भी है : (१८) इस वाटिका की उत्तर दिशा में टीले के नीचे के पार्श्ववर्ती मैदान में सड़क के किनारे पर बड़े श्वे० जैन मंदिर की तरफ़ जाते हुए एक उपाश्रय भी है अब तीर्थ समिति का विचार है कि इसको विशाल रूप देकर इसका उत्तम उपयोग किया जावे । दिगंबर मंदिर तथा संस्थाएं ( १ ) यहाँ दिगम्बर पंथ का मंदिर बड़े मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है । यह जैन श्वेतांबर शांतिनाथ मंदिर की सड़क के उस पार पश्चिम दिशा में एक ४० फुट ऊंचे बड़े टीले पर बना हुना है और इसका सिंहद्वार भी भव्य और आकर्षक है । यह श्वेतांबर शांतिनाथ जैनमंदिर से लगभग ५० वर्ष पहले शाहपुर निवासी लाला जयकुमारमल दिगम्बरी ने बनवाया था । विशाल चकोर श्राँगन के बीचोबीच चबूतरे पर मूलमंदिर निर्मित है, इस का निर्माण दिल्ली निवासी लाला हरसुखराय दिगम्बरी ने करवाया था । आँगन के चारों ओर मंदिर को घेरे हुए धर्मशाला है । जिस में सैंकड़ों यात्रियों को ठहरने की व्यवस्था है । सिंहद्वार के अन्दर लगभग १५ वर्ष पहले मानस्तंभ भी बन गया है। इसी मंदिर के आस-पास इसी टीले पर अनेक नई वेदिकाए निर्माण करवाकर उनमें तीर्थंकरों को प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं । (२) इसी मंदिर की उत्तर दिशा में तथा सामने तीन चार दिगम्बर जैन धर्मशालाएं हैं । (३) इसी मंदिर की उत्तर दिशा में लगभग १ किलोमीटर से २ किलोमीटर के बीच में इनकी तीन चार निशियाँ जी हैं जिन में चबूतरों पर तीर्थंकरों की स्थापना के रूप में स्वस्तिक बने हुए हैं। में (४) निशियाँ जी जाते हुए उसी सड़क पर पूर्व दिशा की ओर दिगम्बर श्रार्या ज्ञानवती के उपदेश से जम्बूद्वीप की रचना तथा उसके मध्य मेरुपर्वत का निर्माण कराया गया है । इसी प्रांगण में लायब्ररी तथा एक कमरे में बाहुबली की खड़ी मूर्ति भी स्थापित की गई है । जम्बूद्वीप तथा मेरुपर्वत की प्रतिष्ठा वि० सं० २०३६ वैसाख सुदी ३ (५) बड़े मंदिर से सटा हुआ उत्तर दिशा में दिगम्बर जैन गुरुकुल है जिस में स्कूल, छात्रालय, और भोजनशाला है । के दिन हुई है । (६) इसी स्थान पर धर्मशाला में वृद्धाश्रम, त्यागियों का निवास स्थान आदि हैं । (७) दातव्य श्रायुर्वेद औषधालय इस मंदिर की उत्तर दिशा में है । कुछ अन्य विशेष स्मारक (१) विदुर का टीला - इसे सामान्यतया उल्टाखेड़ा कहते हैं । यह कई टीलों का एक सिलसिला है । जो धरातल से लगभग ५०-६० फुट ऊंचा है और कई फर्लांग में फैला हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy