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________________ काश्मीर में जैनधर्म १३१ पहुंचा है कि ये खण्डहर तीन भिन्न नगरों के अंश हैं । एक नगर जब उजड़ा तो थोड़ी दूर हट कर दूसरा नगर बसाया गया । जब वह भी उजड़ा तब थोड़ी दूर हट कर तीसरा नगर बसाया गया। इनमें से सब से पुराना स्थान भीड़ टीला (Bhir Mound) है । यह स्थान मौर्यकाल से पूर्व बसा हुआ था। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में यह नगर उजड़ गया। यहां से हटाकर ग्रीक लोगों ने ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में तक्षशिला नगर को जिसे आज सिरकप के नाम से पहचाना जाता है वहां बसाया । यह स्थान भीड़ टीले से प्राधा मील की दूरी पर है । तक्षशिला का तीसरा नगर सिरमुख है। यह सिरकप के उजड़ जाने के बाद बसाया गया था। ईसा की पांचवीं शताब्दी में हणों ने आक्रमण किया और इसे भी ध्वंस कर दिया । अन्त में महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण के बाद यह सदा के लिए समाप्त कर दिया गया। इन तीन नगरियों के सिवाय और भी कई टीले तथा खण्डहर हैं। इनमें चीरटोप और झंडियाला टीला मुख्य हैं। सिकन्दर के साथ आनेवाले इतिहासकारों ने लिखा है कि तक्षशिला बहुत ही धनी और रौनकदार पाबाद नगर था। इसका राज्यशासन बहुत अच्छी तरह होता था। लोग बड़े प्रसन्न, सुखी और चिन्तारहित मालूम होते थे । तक्षशिला का राज्य विस्तार सिन्धु नदी से जेहलम नदी तक था। ई० पू० ३२३ में सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् चन्द्रगुप्त मौर्य ने ग्रीकों को पंजाब से निकाल बाहर किया और तक्षशिला तथा पंजाब के अन्य राज्यों को मगध राज्य में मिला कर अपने अधिकार में कर लिया था । तक्षशिला चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में भी उत्तर भारत की राजधानी रही । इसका पौत्र अशोक और अशोक का पुत्र कुणाल राज्य के प्रतिनिधि और युवराज हो कर कई वर्षों तक यहाँ रहे । कुणाल के पुत्र सम्प्रति के अधिकार में भी तक्षशिला रहा। हुएनसांग ने लिखा है कि तक्षशिला राज्य का क्षेत्रफल आठ हजार वर्ग कोस है और राजधानी तक्षशिला का विस्तार ४० वर्ग कोस का है। ___ गांधार-तक्षशिला में सर्वप्रथण बुद्धधर्म के प्रचार और प्रवेश का श्रेय अशोक मौर्य के व्यक्तिगत प्रभाव को ही है अर्थात् अशोक के प्रभाव से ही इस क्षेत्र में बुद्धधर्म का प्रवेश, प्रचार व प्रसार हुप्रा । तक्षशिला का सारा क्षेत्र खण्डहर हो जाने के बाद शाह की ढेरी के नाम से प्रसिद्ध था। सिकन्दर के समय में यहां के राजा पाभी ने सिकन्दर से संधि कर ली थी। सिकन्दर ने पौरस को भी युद्ध में हराया था। पौरस का राज्य विस्तार जेहलम और चनाब दोनों नदियों के बीच तक था। सब राजाओं पर विजय प्राप्त करते हुए सिकन्दर व्यास नदी तक जा पहुंचा। इसकी सेना ने मागे बढ़ने से इन्कार कर दिया । इसलिए लाचार होकर इसे वापिस लौटना पड़ा तथा पश्चिम पंजाब सिन्ध को जीतते हुए वापिस फ़ारिस लौट गया। इस समय तक्षशिला गाँधार देश की राजधानी थी। उस समय गाँधार जनपद का विस्तार वर्तमान के पेशावर जिला, काबुल की तराई, स्वात्, बुनेट, सिन्धु और जेहलम नदियों के बीच का सारा प्रदेश था । तक्षशिला उस समय गांधार के नाम से प्रसिद्ध था। ___ काश्मीर में जैनधर्म १-काश्मीर के तीन नाम हैं-(१) हिमाद्रिकुक्षी, (२) सतिसर तथा (३) काश्मीर । (१) हिमाद्री कुक्षी का अर्थ है-हिमालय पर्वत की गोद में अवस्थित जनपद । (वीरमार्त पुराण तथा राजतरंगिणी) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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