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________________ व्यक्तित्व निर्माण का उपक्रम : जीवन विज्ञान मुझे पता लग जाता है कि बैल चल रहा है। घंटी के न बजने का अर्थ होता है कि बैल रुक गया है। वकील ने फिर पूछा-'बैल खड़े खड़े भी सिर हिलाकर घंटी बजा सकता है। तुम्हें कैसे पता चलेगा कि वह चल रहा है या रुका हुआ है?' तेली बोला-'महाशय ! वह बैल है, वकील नहीं है। दर्शन समाधान का सूत्र है। तर्क समाधान नहीं देता। वह उलझा देता है। दर्शन का अर्थ है साक्षात्कार । जीवन विज्ञान में दर्शन को महत्व दिया गया और इसे परिवर्तन का माध्यम बनाया गया। प्रत्येक व्यक्ति बदले, यह इष्ट है। नया भी बदले और पुराना भी बदले। दोनों बदल सकते हैं। पहले हम यह सोचें कि नए बच्चे कैसे बदलें? बदलने का एक विशेष अर्थ होगा। वह यह है कि हमारे पास दो शक्तियां हैं। एक है ज्ञान की शक्ति, विवेक की शक्ति (रीजनिंग माइन्ड)। दूसरी है संवेग की शक्ति । यह बहुत बड़ी शक्ति है। संवेग और विवेक-इन दोनों का संघर्ष त्रैकालीन संघर्ष है। परिवर्तन का सूत्र है-विवेक का संवेग पर नियंत्रण ! आज रीजनिंग माइन्ड पर संवेग (इमोसन्स) हावी हो रहा है। यह न हो। आवेग या संवेग के द्वारा विवेक दबे नहीं, जागरूक रहे। जीवन विज्ञान की परिभाषा है-विवेक और संवेग का संतुलन, बौद्धिक और भावात्मक संतुलन। पूरे व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आवश्यक है कि पचास प्रतिशत विकास बौद्धिक हो और पचास प्रतिशत विकास भावात्मक हो। यह संतुलन होने पर ही पूरे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। हमारे शरीर में ऐसे केन्द्र हैं जिनके द्वारा जीवन में परिवर्तन किया जा सकता है। शरीर में सारी शक्तियां हैं, लेकिन हम स्विच ऑन करना नहीं जानते। इसलिए वे सारी शक्तियां सुप्त ही रह जाती हैं, व्यर्थ चली जाती हैं। यदि हम स्विच ऑन करना जान जाएं तो शक्तियां जागृत हो सकती हैं। निषेधात्मक भावों को मिटाकर विधायक भावों को कैसे लाया जाए, उसकी सारी पद्धतियां शरीर में विद्यमान हैं। किन्तु आदमी ने इस दृष्टि से शरीर को न देखा है, न समझा है। हमने जीवन विज्ञान के संदर्भ में उसे समझने का प्रयत्न किया है। पुराने लोगों को बदलने की बात भी महत्वपूर्ण है। आज हिंसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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