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________________ २७, २८, ३१, २०७, २१२, । पण्डिताय ८२, १०५ भू० ३८, १०४, २१५, २१८ भू० १४७. ११२, ११६. नवस्तोत्र ५४. पण्डितेन्द्र १०८. नाग २५४ भू. १२६. पद्मनन्दि=कुन्दकुन्द ४०, ४२, ४३, नागचन्द्र १०५. ४७, ५० भू. १२९, २३१. नागनन्दि' १०८. पद्मनन्दि १०५, १९६ भू. १५२.. नागमति गन्ति ( आर्यिका ) २. पद्मनन्दि चन्द्रप्रभके शिष्य १३७ भू. नागवर्मकवि २९५. १५९. नागसेन १४ भू० ११२, १२६, १५०. पद्मनन्दि त्रैविद्यदेवके शिष्य ११४ भू० नानार्थ रत्नमाला ( इरुगपकृत) भू० १०४. पद्मनन्दि नयकीर्तिके शिष्य ४२, १२४, नीतिसार (इन्द्रनन्दिकृत ) भू० १४५, १२८, १३० भू. १५७. १४८. | पद्मनन्दि शुभचन्द्रके शिष्य ४१ भू. नेमिचन्द्र १०५, १२९, १३७,४७९, ११२. ४९० भू० २६, ३२, ४०, ४८, पद्मनन्दि देव ४९८ भू० १५२. १०६, १३४, १५८. | पद्मनाभपंडित, अजितसेनके शिष्य नेमिचन्द्र नयकीर्तिके शिष्य, ४२, १२२ | ५४ भु० १४०. १२४, १२८ भू० १५७. पनसोगेबलि हनसोगेबलि भू. १४६, नेमिचन्द्र म० दे० ११३ भू. १३७. १४७. न्यायकुमुदचन्द्रोदय (ग्रंथ) भू० १४१. | परवादिमल्ल ५४, ४९५ भू० ८०, १३९, १५८. पञ्चबाणकवि ८४ भू० २६, ३३,.१०५. परवियगुरु १६२. पट्टिनिगुरु ८ भू० १५०. परिशिष्टपर्व (श्वे० ग्रंथ) भू० ६६, ६७. पण्डित, चारुकीर्तिके शिष्य १०५, पाण्डु १०५ भू० १२६. १०८ भू० १३५. पात्रकेसरि ५४ भू० १३८. पण्डितदेव, ११७, १३३, ३५५, ४२९, | पानपभटार ६ भू० १५० ४०४, भू० ४७, १६१. | पुत्र १०५ भू. १२५. पण्डितयति १०८ भू० ४६. पुन्नाटसंघ भू. १४७ फु. नो. पण्डिताचार्य ४२८ भू० ४६, १०३, | पुष्पदन्त, अर्हद्वलिके शिष्य, १०५ भु० । १२९, १३४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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