SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 558
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नगर में के अवशिष्ट लेख ३६-८ तायि जक्कमव्वे मोक्ष -तिलकमं नान्तु नोम्बरे नयणद - देवर माडिसि प्रतिष्ठेय माडिसिहरु मङ्गलमहा श्री श्री । ४४७ ( ३६८ ) स्वस्ति श्रीमत्सुभचन्द्र सिद्धान्तिदेवर गुड्डं श्रीमनु महाप्रचण्डदण्डनायक गङ्गपय्यगलत्तिगे शुभचन्द्र देवर गुडि जक्किमन्त्रे केरेय कट्टिसि नयणन्द देवर माडिसिदरु मङ्गलमहा श्री श्री ॥ ४४८ (३६६ ) पुट्टसामि चेन्नयन कोलद मार्ग ४४८ ( ३७० ) चेन्नयन कोलद मार्ग | ४५० (३७१ ) पुटसामि सट्टर मग चेन्नणन हालुगोल । ४५१ ( ३७२ ) चेन्नयन अमृतकोल | ४५२ ( ३७३ ) चेन्नणन गङ्ग बावनी कोल । ४५३ ( ३७४ ) श्री पुट्टसामि सट्टर मकलु चिकन तम्म चेन्नणन प्रदि तर्तद कोल जय जया । ४५४ (३७६ ) श्री गोम्मट देवर प्रष्ट विधार्चनेगे... हिरिय ...यिकूल. .द.. ...लजन कयिकन्तिय .. ज बिट्ट दत्तिय श्रीमन्महा... चार्यरु हिरिय नयकीर्त्ति - देवरु चिकनयकीर्त्ति देवरु श्राचन्द्रार्कता रंबरं सलिसुतिहरु मङ्गलमहा श्री श्री श्री क्षयसंवत्सरद चैत सुद्ध ७ घ्रा । श्रीमन्महामण्डलाचार्यरु हिरियनयकीर्त्तिदेवर सिष्यरु चन्द्रदेवर Jain Education International ...... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy