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________________ २६. तीन चीजें बाजार में नहीं मिलती केन्द्रीय योजना मंत्री श्री गोमांग 'अध्यात्म-साधना-केन्द्र' में आए। वहां के वातावरण ने उनको प्रभावित किया। वार्तालाप के प्रसंग में उन्होंने कहा-'बाजार में सब चीजें मिल जाती हैं, पर तीन चीजें नहीं मिलती।' यह बात सुन सामान्यतः पहली प्रतिक्रिया यही होती है कि विश्व की मुक्त बाजार व्यवस्था और आयात-निर्यात के सुविधाजनक साधनों ने संसार को छोटा कर दिया। प्राचीन काल में कुत्रिकापण की व्यवस्था थी। वहां स्वर्गलोक, मर्त्यलोक और पाताललोक की सब वस्तुएं उपलब्ध रहती थीं। वर्तमान में संचार-साधन इतने तीव्रगामी हो गए कि विश्व के किसी कोने से कोई भी चीज कहीं पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति में श्री गोमांग का कथन विमर्श मांगता है। उनके कथन का क्या अभिप्राय है? इस जिज्ञासा को समाहित करते हए उन्होंने कहा-सेल्फ कान्फिडेंस-आत्मविश्वास, करेज-साहस और करेक्टर-चरित्र ये वस्तुएं किसी बाजार में नहीं मिलतीं। किन्तु इस अध्यात्मसाधना केन्द्र में मिल सकती हैं। छतरपुर रोड, महरोली में स्थित अध्यात्म साधना केन्द्र इन दिनों अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन-विज्ञान-इस त्रिमूर्ति की चर्चा का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। अणुव्रत मानवीय आचार-संहिता है। मनुष्य को कैसा होना चाहिए? इसका एक समग्र मॉडल है अणुव्रत। अच्छा मनुष्य बना जा सकता है, अच्छा जीवन जिया जा सकता है, यह आत्मविश्वास जगाने वाली एक मूर्ति है अणुव्रत। मनुष्य में आत्मविश्वास हो, पर साहस न हो तो वह प्रतिस्रोत में नहीं चल सकता। आज जिस गति से नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है, मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए प्रयास करना बहुत बड़े साहस की बात है। प्रेक्षाध्यान तीन चीजें बाजार में नहीं मिलती : ६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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