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________________ आविर्भाव होता है तो मनुष्य के हाथ से आस्था का सूत्र छूट जाता है। अणुव्रत उस सूत्र को पुनः हस्तगत करने की दिशा में उठा हुआ एक नन्हा-सा कदम है। जिन विषम परिस्थितियों में यह कदम उठा है और बढ़ा है, इसी क्रम से बढ़ता रहा तो मनुष्य की आस्था को नया आधार देने में सफल हो सकेगा। अणुव्रत हृदय-परिवर्तन की प्रेरणा है। व्यक्ति का सुधार इसे काम्य है। पर यह व्यक्ति तक पहुंचकर रुकता नहीं है। व्यक्ति के माध्यम से समाज, राष्ट्र और विश्व सुधार की दिशा में गति का आश्वासन यही दे सकता है। 'संयमः खलु जीवनम्'-संयम ही जीवन है, इस घोष के सहारे अणुव्रत ने जन-जन की चेतना को शंकृत किया है। मनुष्य की भोगवादी और सुविधावादी मनोभूमि सुख-शान्ति की फसल उगा सके, यह असंभव है। जिस माटी में संयम की सौंधी गन्ध होगी, उसी में सुख शान्ति का अंकुरण संभव है-इस आस्था का जागरण और प्रसारण आज की सबसे बड़ी अपेक्षा है। शान्ति का उत्स है संयम : ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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