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________________ आदर्श गांव बनाने का प्रयास शुरू किया है। उसकी कल्पना में आदर्श गांव का स्वरूप यह है-- • गांव में कहीं शराब का नाम-निशान न रहे। • गांव के सब लोग व्यसन-मुक्त बनें। • गांव में कोई भूखा न रहे। इसके लिए गरीब लोगों को भीख देकर भिखमंगा नहीं बनाना है। उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में सहयोग देकर स्वाभिमान के साथ जीना सिखाना है। • गांव में कहीं गन्दगी न रहे, इसलिए स्वच्छता का अभियान जारी रखना है। • गांव में परस्पर प्रेम और सौहार्द का वातावरण रहे। कभी दंगे-फसाद न हों। छोटे-मोटे झगड़े को लेकर कोई कोर्ट-कचहरी में न जाए। आदर्श गांव के निर्माण का काम अच्छे ढंग से चल रहा है। अभी यह प्रयोग एक गांव में हो रहा है। हर क्षेत्र के अणुव्रती कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर अलख जगाएं और अणुव्रत गांव बनाएं। यह काम बातें करने या भाषण देने से होने वाला नहीं है। इसके लिए खपना जरूरी है। वर्तमान की मानसिकता में यही कठिन लगता है। कवि ने वर्तमान मानसिकता का कितना यथार्थ चित्रण किया है-- बातां साटे हर मिले तो म्हानै ही कहिज्यो। ___माथां साटे हर मिलै तो छाना-माना रहिज्यो॥ मनुष्य आत्मा एवं परमात्मा से साक्षात्कार करना चाहता है, परमात्मा को पाना चाहता है, पर उसके लिए बलिदान करना नहीं चाहता। इस दृष्टि से वह कहता है- 'यदि बातों-बातों से भगवान् मिले तो ऐसा रास्ता हमें बताओ। यदि उसके लिए सिर देने की नौबत आए तो हमसे दूर ही रहना, हमारे सामने मत आना।' इस प्रकार की मनःस्थिति को बदलने वाले कार्यकर्ता ही अणुव्रत के रचनात्मक रूप को प्रतिष्ठित करने में सफल हो सकते हैं। इसके लिए केवल लाडनूं तहसील या कासन गांव पर ही ध्यान देना पर्याप्त नहीं है। जहां-जहां अणुव्रत समितियां हैं, उनमें थोड़ी भी सक्रियता हो तो इस अभियान को देश भर में अच्छे ढंग से चलाया जा सकता है। अणुव्रत का रचनात्मक रूप : १४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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