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________________ ५१. मन्दिर की सुरक्षा : आदर्शों का बिखराव राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर देश के सामने एक भीषण समस्या है। भारतीय लोकजीवन की आस्था के केन्द्र हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम। जन्मभूमि और मन्दिर पार्थिव तत्त्व हैं। राम के आदर्श सर्वथा अपार्थिव हैं। देखना यह है कि समस्या पार्थिव की है या अपार्थिव की? पार्थिव का अपना मूल्य है, पर अपार्थिव के सामने वह नगण्य-सा है। पार्थिव मन्दिर की सुरक्षा में राम के अपार्थिव आदर्श खण्ड-खण्ड होकर बिखर जाएं, यह किसी भी रामभक्त के लिए स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। राम प्रागऐतिहासिक महापुरुष हैं। रामायण पढ़ने वाले और सुनने वाले जानते हैं कि अयोध्या के कण-कण में राम रमे हुए थे। जन्म बहुत छोटे-से स्थान में होता है। पर उस गांव या नगर का पूरा क्षेत्र जन्मभूमि कहलाता है। अयोध्या में राम का जन्म किस स्थल पर हुआ? यह विवाद का विषय हो सकता है। पर अयोध्या राम की जन्मभूमि है, यह तथ्य निर्विवाद है। आज जो स्थान विवादास्पद बना हुआ है, वहां मंदिर कब बना और कब टूटा? शोध का विषय है। कहा जाता है कि बाबर ने वहां मस्जिद बनवाई। प्रश्न यह है कि जिस समय मस्जिद बनी, क्या उस समय उसके प्रतिरोध में आवाज उठी थी? यदि नहीं तो बाद में यह प्रश्न कब और क्यों उठा? ऐतिहासिक तथ्यों की प्रामाणिक प्रस्तुति आवश्यक है। किसी भी इतिहास की ईमानदार खोज में समय लगता है। उसके लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वर्तमान की जो स्थिति है, लोगों का धैर्य टूट गया। वे विचलित हो गए। अधिक कालक्षेप को सहना संभव नहीं रहा। जनता का रुख आक्रामक हो गया। सौहार्द की बढ़ती हुई संभावनाओं मन्दिर की सुरक्षा : आदर्शों का बिखराव : १०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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