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________________ १७ १२८ तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान कुल ९७५ हैं। इस संग्रह की कुछ ढालों का रचना स्थान और काल का विवरण इस प्रकार है :ढाल रचना स्थान रचना काल नाथद्वारा १८४३ आश्विन बदी १० रविवार नाथद्वारा १८४३ आश्विन बदी ८ शुक्रवार कोठारया १८४३ आश्विन सुदी १४ शनिवार धेनावास १८४४ माघ सुदी ६ बृहस्पतिवार पाली १८५२ श्रावण बदी १३ मंगलवार पाली १८५२ आश्विन बदी ५ शुक्रवार पाली १८५२ आश्विन बदी १५ सोमवार सोजत १८५३ श्रावण सुदी ६ सोमवार पाली १८५५ आश्विन सुदी १ बुधवार नाथद्वारा १८५६ पौष बदी २ शनिवार १९ गोगुंदा १८५७ चैत्र सुदी १४ बुधवार १८. श्रद्धा की चौपाई आचार्य भिक्ष का समय गहरे अभिनिवेशों का समय था। एक विषय पर नाना मान्यताएं थी। सम्यक्त्व और मिथ्यात्व को कोई निश्चित सीमा रेखा नहीं थी। जिसे जैसा अवभाषित होना, धर्म और अधर्म की स्थापना कर देता । जैसे----आगम सूत्रों की राजस्थानी भाषा में पद्यवद्ध रचना अर्थ (जिसे जोड़ कहा जाता था) चित्र का निर्माण आदि-आदि। आचार्य भिक्षु ने इस विषय में अनेक शास्त्रीय उल्लेख प्रस्तुत किए हैं। वास्तविक धरातल पर आस्था का निर्माण करने में सघनता से लेखनी चली है। धर्म के सन्दर्भ में विपरीत अवधारणाओं की तीव्र मीमांसा की है। इस संग्रह में ३१ ढालें और १६० दोहे हैं । कुल गाथाएं १४६४ हैं। ढालों का निर्माण विभिन्न क्षेत्रों में तथा अलग-अलग समय में हुआ है। प्राप्त सामग्री के अनुसार निम्नांकित विवरण प्रस्तुत किया जा रहा १८ ढाल १८३६ १८४८ रचना स्थान बगड़ी माधोपुर नाथद्वारा नाथद्वारा ईडवा कोठारया १८४३ १८४३ १८५४ १८४३ रचनाकाल कार्तिक सुदी १५ मंगलवार आसोज सुदी ६ सोमवार श्रावण बदी १५ मंगलवार आश्विन बदी ९ शनिवार चैत्र बदी ४ बुधवार कार्तिक सुदी १३ शनिवार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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