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________________ सच्ची सेवा नैतिक पतन और उसका परिणाम भारतवर्ष गुलामी की लम्बी श्रृंखला को काटकर आजाद हुआ। पर राष्ट्र की जो स्थिति है, उसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि राष्ट्र आजाद है। यद्यपि राष्ट्र ने आर्थिक दृष्टि से प्रगति की है, तथापि किसी को भी चैन नहीं है । सर्वत्र एक बेचैनी छाई हुई दिखाई देती है। यों तो इसके अनेक कारण हो सकते हैं, पर जो मुख्य कारण है, वह यह कि राष्ट्र के नैतिक और चारित्रिक विकास का कोई आसार दिखाई नहीं देता। प्रतिदिन इस दृष्टि से वह ह्रास की ओर जा रहा है । समाज का कोई भी वर्ग ऐसा नहीं है, जो अपने-आपको इस पतन से बचा सका हो । लोगों की स्वार्थवृत्ति क्रमश: बढ़ती जा रही है। लोग राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझते नहीं है । यदि समझते भी हैं तो उसे निभाने की कोशिश नहीं करते । इसका फलित यह हुआ है कि राष्ट्र के विकास के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाएं वैसा फल नहीं ला रही हैं, जैसा लाना चाहिए। मेरा विश्वास है, जब तक राष्ट्र का नैतिक एवं चारित्रिक पतन नहीं रुकता, इस मोर्चे पर वह प्रगति की ओर अग्रसर नहीं होता, तब तक अन्यान्य क्षेत्रों में होने वाली प्रगति सुख और खुशहाली लानेवाली सिद्ध नहीं हो सकती। इस प्रगति के साथ ही उनका अनुकूल परिणाम आ सकता है । इसलिए आज की सबसे बड़ी आपेक्षा राष्ट्र के नैतिक एवं चारित्रिक विकास की है। राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अपने मन में यह संकल्प संजोए कि वह अपने जीवन को नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से ऊंचा उठाएगा। सच्चे जन-सेवक बनें जन-सेवकों से विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि वे अपने दायित्व को गंभीरता से समझे। उनकी हर छोटी-बड़ी प्रवृत्ति आचरण व्यवहार का असर जन-साधारण पर पड़ता है । इसलिए नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से वे एक ऐसा आदर्श उपस्थित करें, जिससे सभी लोगों को नैतिक एवं सच्चरित्र बनने की प्रेरणा मिले । राष्ट्र और जनता की उनकी यह सबसे बड़ी सेवा होगी। सच्ची सेवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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