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________________ अणुव्रत समाज-व्यवस्था सामाजिक स्तर पर बदलाव जरूरी है स्वस्थ समाज-निर्माण की संक्षिप्त-सी चर्चा कल मैंने की थी। अणुव्रत समाज-व्यवस्था का उद्देश्य स्वस्थ समाज का निर्माण करना ही है। अणुव्रत के नियम हालांकि व्यक्ति को केन्द्र में रखकर बनाए गए हैं, पर उनकी भावना वैयक्तिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी स्थान पाए, यह नितान्त अपेक्षित है । ऐसा होने से वातावरण में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है । जैसे समाज के बदलाव सुधार के लिए व्यक्ति का बदलाव/सुधार महत्वपूर्ण है, उसी तरह व्यक्ति के बदलाव सुधार के लिए समाज का बदलाव सुधार भी महत्वपूर्ण है। समाज का वातावरण जब स्वस्थ होता है तो व्यक्ति के लिए भी अपने-आपमें परिवर्तन करना और सही पथ का अनुशरण करना सुगम हो जाता है । अन्यथा यह एक दुष्कर काम होता है, जिसमें कि कोई-कोई व्यक्ति ही सफल हो पाता है। व्यवस्था का अभिप्रेत __ अणुव्रत समाज-व्यवस्था का आशय है- समाज में संस्थित विभिन्न वर्गीय लोगों का जीवन-व्यवहार अणुव्रत भावना के अनुकूल हो, विरुद्ध न हो । उसका आधार चरित्र हो। हम सब जानते हैं कि समाज अनेक वर्गों में विभक्त है, जैसे व्यापारी, विद्यार्थी, अभिभावक, अध्यापक, मजदूर, महिला, पुरुष आदि । इन सबका अपना-अपना कार्यक्षेत्र है । अणुव्रत समाज-व्यवस्था का उद्देश्य इन सब वर्गों को एक कर देना नहीं है । उसका तो अभिप्रेत हैसमाज के प्रत्येक वर्ग के दैनन्दिन कार्यों पर अणुव्रत की छाप रहे। उसका जीवन व्यवस्थित, संयमित एवं अनुशासित हो । अहिंसाप्रधान समाज-व्यवस्था अणुव्रत समाज-व्यवस्था में मुख्य स्थान अहिंसा का रखा गया है। यह दण्ड और बल की पृष्ठभूमि पर आधारित व्यवस्था नहीं है । आपको ख्याल में रहना चाहिए कि दण्ड और बल-प्रयोग संदेह, भय, अलगाव और अणुव्रत समाज-व्यवस्था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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