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________________ ( ४३ ) महागजके रचे हुए ग्रन्थों के प्रमाणसे तो हमको पूरा निश्चय होगयाहै कि-देवद्रव्य आगमसिद्धहै और ऐसे ऐसे अनेक ग्रन्थों में अन्य भी होंगे परन्तु अबतो श्रीमहावीरप्रभुक कथित और उनके. शिप्य आचार्योंके निर्मित पुस्तकका कोइभी प्रमाण दीजिए जिससे तमाम जैनसमाजको मालूमहो कि वेचरदास बड़ा झूठा आदमी है, और उसके भाषणको छपाकर घरघरमें बांटनेवाले देवद्रव्यसे अपने पापी पेटको भरनकी इच्छा रखते हैं । अथवा तो नरकगतिमें जाने के लिये कोई साथी बनाना चाहते हैं परन्तु जिसका कलेजा ठिकाने पर नहीं होगा वही उनकी बातको मान सकता है नहीं तो तुरत विचार करें कि-एक आदमीके धर्मविरुद्ध दिये हुए भाषण को यह अपने पैसेसे छपाकर प्रसिद्ध करताहै इसमें कुछ हेतु चाहिये, अन्यथा बड़े बड़े प्रभावक आचार्योंके बचनोंसे और आगमोंसे विरुद्ध भाषणको कैसे छपाकर प्रसिद्ध करता । अस्तु. अब आप मेरे मनोरथको पूर्ण करें। समालोचक- देखिये ! परमकृपाळु शासननायक भगवान् महावीरस्वामीसे श्रवण करके पवित्र आचार्य महाराज द्वारा निर्मित वसुदेवहिण्डके प्रथमखंडमें देवद्रव्य के विषयमें नीचे मुजब पाठ आता है 'जेण चेइयदव्वं विणासियं तेण जिणबिंबपूजादसणाणंदितहिययाणं भवसिद्धिआणं सम्मदंसणसुअओहिमणपज्जव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003135
Book TitleDevdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
PublisherSha Sarupchand Dolatram Mansa
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Devdravya
File Size7 MB
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