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________________ (१९) जबाबमें रुक जाता है वहां पर ' मेरेको याद नहीं है ' ' मैं अपने. अभिप्रायसे कहता हूँ' इत्यादि बातोंसे साबित होता है कि बेचरदासका भाषण आधार रहित ही नहीं बल्कि कपोलकल्पित है । इस विषयको विशेषरूपसे मालूम करने के लिए " जैनधर्मप्रकाश मासिक " अङ्क ३ पृष्ठ ८९ पुस्तक ३५ को देखना चाहिए। संसारमें सर्वोत्तमपदार्थ सम्यक्त्व ही है । यथोक्तं सूत्रे" दंसण भट्ठो भट्ठो, दंसणभस्स नत्थि निव्वाणं । सिज्जति चरणरहिया, दसणरहिया न सिज्जति ॥१॥" भावार्थ-जो लोक सम्यक्त्वसे पतित हो गयेहैं वेही पूरे पतित माने जाते हैं। क्योंकि सम्यक्त्वसे पतित हुएको निर्वाणकी प्राप्ति नहीं होती। चारित्रसे पतित हुए मनुष्य सिद्धहोसकतेहैं परंतु दर्शनसे रहित मनुप्य कदापि सिद्ध नहीं होसकता । इस लिए आजकलके नास्तिक लोकोंके सहवाससे बचना चाहिए क्योंकि वे लोक सिद्धान्तसे विरुद्ध होनेसे " देवद्रव्य का मालिक संघ है उस द्रव्यको किसीभी प्रकारसे व्यय करसकतेहैं " इत्यादि सूत्रविरुद्ध बातें कहतेहैं और कितनेक नास्तिक तो यहां तक बोल उठतेहैं कि "आजकलके साधु, साधु पदवीके योग्य नहींहैं " हम पूछते हैं कि अगर त्यागी गीतार्थ साधु महाराज यदि साधुपदवीके योग्य नहीं हैं तो क्या तुम्हारे जैसे कपोलकल्पित निराधार गप्पबाज़ मृषावादी योग्यहैं ? जिनको जैनशास्त्र के रहस्यका विल्कुल भान ही नहींहैं । सुनाजाता है कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003135
Book TitleDevdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
PublisherSha Sarupchand Dolatram Mansa
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Devdravya
File Size7 MB
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