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________________ अध्याय ४ ४६ आध्यात्मिकता का मापदण्ड : विरति; वृत्ति, व्यक्ति और वस्तु का सम्बन्ध; संयम और असंयम की भेदरेखा; अहिंसा और हिंसा के निर्णायक कोण; प्राणातिपात (प्राण-वध); निष्काम-कर्म और अहिंसा। ७० अध्याय ५ सुखवादी दृष्टिकोण; आत्मवादी दृष्टिकोण; अध्यात्मवादी दृष्टिकोण; मूल्यांकन के सापेक्ष दृष्टिकोण। ७८ अध्याय ६ अहिंसा का राजपथ : एक और अखण्ड; स्थावर-जीव-हिंसा; जीवन की अविभक्ति और विभक्ति; सामाजिक-दृष्टि और मोक्ष-दृष्टि; सामाजिक भूमिका और अहिंसा; सामाजिक और धार्मिक प्रवृत्ति का पृथक्करण क्यों ?; सामाजिक व्यक्ति समाज-विमुख नहीं हो सकता; सामाजिक कर्तव्य का आधार सामाजिकता । अध्याय ७ ८६ प्रवर्तक और निवर्तक धर्म; प्रवर्तक और निवर्तक धर्म का आधार; प्रवर्तक और निवर्तक धर्मः स्वरूप और फलित; प्रवर्तक धर्म की तुलना में; धर्म का तुलनात्मक अध्ययन; लौकिक; वैदिक; आध्यात्मिक; बौद्धप्रवचन में धर्म शब्द; आत्म-धर्म और लोक-धर्म; अध्यात्म-धर्म और लोक-धर्म का पृथक्करण । द्वितीय खण्ड अध्याय १ १०५ आचार्य भिक्षु कौन थे ?; सिंह-पुरुष आचार्य भिक्षु (जीवन-झाँकी); आचार्य भिक्षु का अध्यात्मवादी दृष्टिकोण; शब्द-रचना में मत उलझिए; विवेकशील उत्तर-पद्धति; शब्द-रचना की प्रक्रिया; विश्लेषण का मार्ग। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003133
Book TitleAhimsa Tattva Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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