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________________ २८२ किसने कहा मन चंचल है करने वाले का मन स्वस्थ नहीं होता । जो व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है तो उसके प्रति सामने वाला कितना ही दुर्व्यवहार क्यों न करे, वह अपना संतुलन नहीं खोएगा। वह अच्छा व्यवहार हो करेगा। वह अपने अच्छे व्यवहार के द्वारा सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार को बदलेगा या उसे यह सोचने के लिए बाध्य करेगा कि यह व्यक्ति सचमुच ही विनम्र और सद्व्यवहार करने वाला है। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन आध्यात्मिक व्यक्ति थे । साधारण से साधारण व्यक्ति भी उनके सामने आता, टोपी उतारकर प्रणाम करता तो स्वयं राष्ट्रपति भी अपना हैट उतारकर उसके अभिवादन को स्वीकार करते । राष्ट्रपति के मित्रों ने यह देखकर कहा-"आप राष्ट्रपति हैं । आपको सामान्य व्यक्ति के आगे हैट नहीं उतरना चाहिए। एक सामान्य नागरिक आपका अभिवादन करता है तो वह उसका कर्तव्य है, उसे करना ही चाहिए । पर आप राष्ट्रपति हैं, आपको अपने स्थान की गरिमा रखनी है।" राष्ट्रपति बोले-"अमेरिका का राष्ट्रपति विनम्रता और व्यवहार में किसी से छोटा पड़ना नहीं चाहता । अमेरिका का नागरिक सद्व्यवहार करे और अमेरिका का राष्ट्रपति तुच्छ व्यवहार करे यह कैसे हो सकता है ? राष्ट्रपति का जो पद है, दायित्व है, उसकी जो गरिमा है, उसको देखते हुए यह आवश्यक है कि वह अपने विनम्र व्यवहार को न छोड़े।" ___ मानसिक स्वास्थ्य की एक कसौटी है । जो व्यक्ति मन से स्वस्थ होता है वह अच्छा व्यवहार करने वाले के प्रति अच्छा व्यवहार करता है और उस व्यक्ति के प्रति भी अच्छा व्यवहार करता है जो प्रतिकूल व्यवहार करता है । अच्छे के प्रति अच्छा और बुरे के प्रति भी अच्छा । वह ऐसा इसलिए करता है कि यदि सामने वाला व्यक्ति मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ है तो क्या वह भी अस्वस्थ हो जाए ? वमन करने वाले को देखकर क्या स्वयं भी वमन करने लग जाए ? भन की स्वस्थता रखने वाला व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता । प्रतिकूल व्यवहार वही व्यक्ति करता है जो मन से दुर्बल है, मन से अस्वस्थ है। जिन व्यक्तियों ने इन सूत्रों का विकास किया कि 'शठे शाठ्यं समचरेत्,' 'इंट का जवाब पत्थर से'-वे व्यक्ति वास्तव में ही मन से रोगी थे। यदि वे स्वस्थ होते तो इस प्रकार के सूत्रों का प्रतिपादन नहीं होता । आवश्यकता यह है कि सामने वाला व्यक्ति यदि मन से दुर्बल है, अस्वस्थ है तो तुम अपने मानसिक स्वास्थ्य का परिचय दो और उसे यह समझने का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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