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________________ आ सकता । इस प्रकार वे नियमों की उपेक्षा करते हैं। मुझे उनका यह चिन्तन सही नहीं लगता । मेरी दृष्टि में अणुव्रत के नियम आज के युग में अत्यंत उपयोगी हैं। हां, यह संभव है कि कुछ लोग अपनी दुर्बलता और अक्षमता के कारण इन नियमों को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं । पर अपनी दुर्बलता और अक्षमता के कारण नियमों को अव्यावहारिक बताना उचित नहीं । ध्यान रहे, अणुव्रत के नियमों को ग्रहण करने का मतलब गृहत्यागी बनना नहीं है । इसका तो मतलब है कि व्यक्ति जहां कहीं भी रहे, वह वहां के वातावरण को स्वस्थ और चरित्रयुक्त रखे । कम-से-कम अपना आचरण तो अवश्य ही पवित्र रखे । इसी में उसके जीवन की सच्ची सार्थकता है । १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only मानवता मुसकाए www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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