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________________ विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली १८५ लॉस एंजिल्स काउण्टी के सुपीरियर कोर्ट के जज विलियम आर. मैके ने कहा है- न्यायालय में पेश होने वाले अपराध के १० मामलों में ९ ऐसे होते हैं जो प्रत्यक्षत: शराब के अंधाधुन्ध उपयोग की देन होते हैं । 1 मद्यपान के अध्ययन में नवीन प्रवृत्तियों के लेखक ए. आई. मालकोइम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है - सामान्य जनसंख्या की तुलना में मद्यपों की आत्म-हत्या की दर ५८ गुना अधिक होती है । अमेरिका में अपराधिता के अध्ययन में चित्रित आंकड़ों में बताया गया है - १९६७ में पियक्कड़ स्थिति में बंदी बनाये गए लोगों की संख्या १६९६२८० थी । सुरापान कर वाहन चलाने के आरोप में बंदी बनाये गए व्यक्तियों की संख्या २४८९१२ थी, सुरापान के प्रभाव से अनियंत्रित व्यवहार करनेवाले बंदियों की संख्या ४९५७८४ थी । कुल मिलाकर २१, ४०,९७६ की यह कुल संख्या इस बात का प्रमाण है कि वहां की कुल बंदियों की संख्या में एक-तिहाई से लेकर आधी संख्या मद्यपान से सम्बन्धित लोगों की थी । यौन अपराधों में ६० प्रतिशत, चोरी-चकारी में ६५ प्रतिशत, जालसाजी में ६६ प्रतिशत, ऑटोचोरी में ६८ प्रतिशत, बलात्कार में ३९ प्रतिशत, सेधमारी में ७० प्रतिशत, लूटमार में ७४ प्रतिशत, हत्याओं में ७९ प्रतिशत, जान-बूझकर गोली चलाने में ८३ प्रतिशत, सामान्य प्रहार में ८५ प्रतिशत, हथियार सम्बन्धी अपराधों में ८५ प्रतिशत, जेब काटने के ९३ प्रतिशत अपराधों में शराब का हाथ है । 'लिसन' नामक पत्रिका में २३३ जजों के अनुमानों का सर्वेक्षण करने के बाद पाया गया कि गिरफ्तार किए व्यक्तियों में से ६३ प्रतिशत का शराब से लगाव रहा है । इन सब से एक बात निर्विवाद रूप से उभरती है कि मद्यपान और अपराध का चोली-दामन का सम्बन्ध है । सुरापान से आदमी क्रूर, क्रोधी एवं प्रमादी बन जाता है। उसके लिए जीवन बहुत सस्ता हो जाता है । वह न केवल अपनी ही हानि कर लेता है अपितु दूसरों की हत्या करने में भी उसे कोई संकोच नहीं रहता । जब कोई व्यक्ति शराब के नशे में होता है तो वह सभी प्रकार के अपराध और विभिन्न स्तरों पर उत्तरदायित्वहीन व्यवहार करने लगता है। कई जगह पर पाया गया है कि अन्य अपराधों से जितने व्यक्ति जेल जाते हैं, शराब के नशे में धुत्त होकर जेल जाने वालों की संख्या उससे ज्यादा है। अवैध गविविधियों में अनुरक्त व्यक्तियों में शराब पीने के बाद मिथ्या साहस की भावना उद्भव होती है। ऐसे लोगों को भयानक काम करने के लिए शराब पिलाई जाती है। शराब ऐसे व्यक्तियों को भी उचित - अनुचित में भेद - रेखा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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