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________________ १८० जैन दर्शन और विज्ञान धूम्रपान कैसे भी शुरू हो, कुछ महीनों या सालों में लत या नशे में परिवर्तित हो जाता है। लोग जर्दा-धूम्रपान जारी क्यों रखते हैं? मुख्यतया लोग निम्नलिखित कारणों से धूम्रपान जारी रखते हैं : एक आदत शौकिया शुरू किया गया जर्दा-धूम्रपान धीरे-धीरे आदत बन जाता है, तथा दिनचर्या के किसी कार्य से जुड़ जाता है। शौच करते वक्त, भोजन करने के बाद, काफी मेहनत करने के बाद, कुछ समय के लिए विश्राम करते समय आदि। ये कुछ उदाहरण हैं जिनमें जर्दा-धूम्रपान का एक आदत की तरह दिनचर्या में समावेश होता है। यदि आदत को शुरू में नहीं रोका जाए तो यह लत बन जाती है। एक रिवाज पुराने समय से ही धूम्रपान समाज में एक महत्त्वपूर्ण रिवाज रहा है। आज भी कई घरों में मेहमान-नबाजी के लिए बीड़ी-सिगरेट, हुक्का या चिलम पेश की जाती है। यहां तक कि समाज में किसी का हुक्का-पानी बन्द करने का मुहावरा उसके बहिष्कार के लिए प्रयुक्त किया जाता है। अहम् के लिए ____ पान की दुकान पर खड़े अदा से कश लेना, निचला होंठ आगे करके धुएं के छल्ले निकालना, मुंह में सिगरेट दबा कर स्कूटर चलाना, मुंह में सिगरेट रख बेफ्रिकी, लापरवाही मनमौजीपन या धाकड़ व्यक्तित्व दिखाना, आदि ऐसी गतिविधियां हैं जो कि अहम् की तुष्टि करती है। एक नशा लगातार धूम्रपान करने से नशा हो जाता है तथा जब कभी धूम्रपान न किया जाए तो बहुत से शारीरिक कष्ट प्रकट होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में धूम्रपान या तो सकारात्मक भाव जैसे जोश, आनन्द या सुस्ताने के लिए या नकारात्मक भाव जैसे चिन्ता, हड़बड़ी, बेचैनी को कम करने के लिए किया जाता है। मनुहार कई लोग मनुहार के कच्चे होते हैं। स्वयं बीड़ी-सिगरेट छोड़ देते हैं, किन्तु किसी ने मनुहार की नहीं कि फौरन फिर शुरू कर जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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