SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 180
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली १६५ कैंसर, ब्लड-प्रेशर, मोटापा, गुर्दे के रोग, कब्ज, संक्रामक रोग, पथरी, जिगर की बिमारी आदि घातक बीमारियां अधिक होती हैं जबकि भारत, जापान व दक्षिण अफ्रीका में जहां मांसाहार का प्रचलन कुछ कम है, कम होती है।' मांसाहार से कैंसर सभी प्राणियों के शरीर में विषैले पदार्थ तैयार होते हैं। वे केवल मल-मूत्र द्वारा ही शरीर से बाहर निकल सकते है। जब कोई जानवर मारा जाता है और उसके मांस में से पदार्थ रह जायें तो उनके बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं रह जाता। हृदय की क्रिया बंद होने के बाद शरीर के सारे अवयव पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं। अत: मृत जानवरों के मांस में विषैले पदार्थ भारी मात्रा में जमा रह जाते है। जो व्यक्ति उसे खाता है, सहज ही सारा विषैला तत्त्व उसके शरीर में पहुंच जाता है। जिन जानवरों को मारा जाता है उन्हें हार्मोन्स, एन्टीबॉडीज और इसी प्रकार की अन्य औषधियां तथा जन्तुनाशक दवाइयां निश्चय रूप से दी जाती हैं। जो व्यक्ति मांसाहार करता है उसके शरीर में ये जहरीले पदार्थ जमा हो जाते हैं। गायों आदि जानवरों का मोटा-ताजा बनाने के लिए भी B.E.S. नाम की दवाई दी जाती है। इससे उनके मांस को खाने से कैंसर की संभावना बताई गयी है। जिन स्त्रियों को आज से पचीस वर्ष पूर्व B.E.S. की औषधि दी गयी थी उनमें तथा उनकी पत्रियों तक में कैंसर का प्रमाण अधिक पाया गया है। ___ मांसाहारियों में कैंसर का बढ़ना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि मांसाहार करने वाले २५ देशों में से १९ देशों की मृत्यु-संख्या बहुत ऊंची है। ५ देशों की मृत्यु संख्या मध्यम है जबकि केवल एक देश की मृत्यु दर नीची है।' । उन देशों में जहां लोग शाकाहार करते हैं वहां कैंसर बहुत कम पाया जाता है। १९७५ में बम्बई में कैंसर के पाने वालों की संख्या दस हजार में एक थी जबकि इंग्लैंड में ५.५ प्रतिशत थी। ईजिप्त में काले रंगवाली शाकाहारी जातियों में कैंसर नहीं के बराबर है जबकि मांसाहार जाति में अंग्रेजों जितनी ही है। कोप्ट मठ में जहां लोग चाय कॉफी तथा मांसाहार नहीं करते हैं, पिछले २७ वर्षों में कैंसर की एक घटना भी नहीं हुई। ____ अमेरिकन सिनेटरों की समिति ने 'आहार-विषयक अमेरिका का ध्येय' विषय पर अपनी रिर्पोट पेश करते हुए यही कहा है-मांसाहार से हृदय-विकार १. कल्याण, गोरखपुर, पृष्ठ ५७१ व हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली, १.१०.८६ Human onchogene : Work done by Prof. R.A. Weinberg from Massachutts Hospital U.S.A. and others. - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy