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________________ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों में अलंकार केचिदाहुरजं जातं पुण्यश्लोकस्य कीर्तये । यदोः प्रियस्यान्ववाये मलयस्येव चंदनम || ' जैसे मलयाचल की कीर्ति का विस्तार करने के लिए उसमें चन्दन होता है वैसे ही अपने प्रियभक्त पुण्यश्लोक राजा यदु की कीर्ति का विस्तार करने के लिए आपने उनके वंश में अवतार ग्रहण किया । यहां उत्प्रेक्षा और उपमा की स्थिति तिल - तण्डुल - न्याय से है । इस प्रकार स्तुतियों में विभिन्न अलंकारों के प्रयोग से भाषा में स्वाभाविकप्रवाह, सरसता, चारुता इत्यादि गुण सन्निविष्ट हो गए हैं । श्रीमद्भागवत की स्तुतियों में बिम्ब योजना २१७ आधुनिक काव्य आलोचना के क्षेत्र में "बिम्ब" शब्द अंग्रेजी के इमेज शब्द के पर्याय के रूप में ग्रहण किया गया है । इमेज का अर्थ पारिभाषिक शब्द संग्रह, कॉम्प्रीहेन्सिव इंगलिश हिन्दी डिक्शनरी, इंगलिश संस्कृत डिक्शनरी, अंग्रेजी हिन्दी कोश आदि कोश - ग्रन्थों में मुख्यत: बिम्ब, प्रतिमा, प्रतिबिम्ब, प्रतिच्छाया प्रतिमूर्ति आदि दिया गया है । " आक्सफोर्ड डिक्शनरी" में इमेज का अर्थ किसी वस्तु की कृत्रिम अनुकृति अथवा बाह्यरूप का चित्रण बताया गया है । बिम्ब उस चेतन स्मृति को कहते हैं जो मूल उद्दीपन की अनुपस्थिति में उसका सम्पूर्ण अथवा आंशिक दृश्य उपस्थित करती है । इस इमेज शब्द के स्थान पर अनेक पाश्चात्य विचारकों ने " इमेजरी" शब्द का प्रयोग किया है । इमेजरी शब्द का अर्थ विविध शब्दकोशों में प्रतिबिम्ब, प्रतिमूर्ति, मनःसृष्टि, कल्पना- सृष्टि, प्रतिमा-सृष्टि, लाक्षणिक चित्रण आदि दिया गया है । प्राच्य भाषा विवेचकों ने "बिम्बविधान" के स्थान पर "रूप-विधान" या "चित्र - विधान" शब्दों का प्रयोग किया है। बिम्ब वह तत्त्व है जो बुद्धि तथा भावना विषयक उलझनों को क्षण भर में अभिव्यक्त कर दे । "एजरा पाउण्ड " उसी को बिम्बवादी कविता स्वीकार करते हैं जिसमें गद्य जैसी स्पष्टता हो तथा विशेष को प्रस्तुत किया गया हो, सामान्य को नहीं । उनके अनुसार बिम्बवादी कविता में तीन शर्तें आवश्यक मानी गयी हैं १. विषय चाहे भावपरक हो या वस्तुपरक पर उनका स्पष्ट चित्रण होना चाहिए । १. श्रीमद्भागवत १.८.३२ २. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल चिन्तामणि, पहला भाग, पृ० १९५ ३. टी० एस० इलियट - लिटरेरी एसे ऑफ एजरा पाउण्ड पृ० ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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