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________________ ५० : निबन्ध-निचय "शान्ति देवता" का भी रिद्धचक्र से सम्बन्ध है ऐसा श्वेताम्बर परम्परा को विदित नहीं है। त्रिभुवनस्वामिनी, ज्वालामालिनी, श्रीदेवता, वैरोट्या, कुरूकुल्ल, कुबेरदेवता, कुलदेवता'' इन नामों में से त्रिभुवनस्वामिनी और श्रीदेवता ये दो देवियां सूरि मन्त्र की अधिष्ठायिकायें हैं; न कि “सिद्धचक्र" की, ऐसा श्वेताम्बर परम्परा मानती है। "ज्वालामालिनी" चन्द्रप्रभ तीर्थङ्कर की यक्षिणी है, और "वैरोट्या' तीर्थङ्कर-मल्लिनाथ-की यक्षिणी है। “कुरूवृल्लादेवी-जैन-देवता के रूप में नहीं मानी-गई, तान्त्रिक- बौद्धों की देवी है। यदि किसी श्वेताम्बर विद्वान ने इसके स्तोत्र बनाये हैं तो इसका कारण मात्र यही है कि यह देवी सों से रक्षा करने वाली है, "कुबेर-देवता" "कुल देवता" कुबेरा देवी मथुरा के देव निर्मित-स्तूप की रक्षिका थी, इस कारण से जैन शान्तिक विधानों में इसका स्मरण किया गया है, न कि सिद्धचक्राधिष्टायिका के नाते । इसमें दिया हुआ "कुलदेवता' किसी देव-देवी का विशेष नाम नहीं है, 'कुल' शब्द से किस व्यक्ति-विशेष का 'कुल' इसका भी स्पष्टीकरण नहीं है। इस प्रकार इस अधिष्ठायक वलय के देव-देवियों के नामों से पता चलता है कि विधान-लेखक ने "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोडा'; इस कहावत के अनुसार इधर उधर से देव-देवियों के नाम उठाकर सिद्धचक्राधिष्ठायकों का वलय भर दिया है, वस्तुत: “सिद्धचक्र' के अधिष्ठायकों के रूप में “विमले३वर' देव और "चक्रेश्वरी" देवी जिसका नामान्तर "अप्रतिचक्रा" भी है; श्वेताम्बर संप्रदाय में प्रख्यात है, दूसरा कोई देव देवी नहीं। ६. स्नानीय जल भरने के नव कलशों को अधिवासित करने का मन्त्र निम्न प्रकार से दिया है, "ॐ हीं श्री धृति कीति बुद्धि लक्ष्मी शान्ति तुष्टि पुष्टयः एतेषु नव कलशेषु कृताधिवासा भवन्तु-भवन्तु स्वाहा ।" उपर्युक्त मन्त्र में भी कृति को श्वेताम्बरीय बनाने वाले लेखक ने भद्दी भूल की है, ॐकार के बाद "ही" श्रीं इन अक्षरों को बीजाक्षर बनाकर कलशों का अधिवासन करने वाली नव देवियों में से दो को कमकर दिया है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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