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________________ निबन्ध-निचय : २८१ परिचय कराया है। यह पद्य यदि वसुनन्दी का खुद का भी हो तब भो इससे इनका तथा इनके समय का कोई परिचय नहीं मिलता। इनके "वसुनन्दिश्रावकाचार, प्रतिष्ठासार' आदि ग्रन्थों में भी इन्होंने अपना परिचय नहीं दिया, ऐसा स्मरण है । मूलाचार के कर्ता का नाम “वट्टकेराचार्य, वट्ट रकाचार्य अथवा घट्टकेरलाचार्य ?" __ प्रस्तुत मुद्रित सटीक ग्रन्थ के सम्पादक ने एक दो स्थान पर “वट्ट रकाचार्य'', तब अन्य स्थानों में "वट्टकेराचार्य' लिखा है। वसुनन्दी ने टीका के उपक्रम में इनका नाम "वट्टकेरलाचार्य' लिखा है। इन भिन्नभिन्न नामोल्लेखों का होना हमारी राय में इस ग्रन्थ के कर्ता के नाम का बनावटीपन साबित करता है। इस बात के समर्थन में अन्य भी कई कारण हैं। प्रथम तो दिगम्बरीय शिलालेखों में यह नाम कहों भी दृष्टिगोचर नहीं होता। ग्रन्थ-प्रशस्तियों में भी इनका नाम कहीं लिखा नहीं मिलता। भट्टारकीय प्रशस्तियों में भी किसी भी लेखक ने नहीं लिखा, ऐसा हमारा ध्यान है। आचार्य श्रुतसागर १६वीं शताब्दी के दिगम्बर विद्वान् थे। आचार्य वसुनन्दी भी श्रुतसागर से दो तीन शताब्दियों से अधिक पूर्ववर्ती नहीं हैं। मूलाचार के भिन्न-भिन्न अधिकारों में आने वाले अनेक ऐसे शब्दप्रयोग हैं जो विक्रम की १२वीं शताब्दी के किसी ग्रन्थ में प्रयुक्त हए दृष्टिगोचर नहीं होते। मूलाचार ग्रन्थ के अधिकारों की योजना भी इस बेढबी से की गई है कि यह ग्रन्थ एक मौलिक ग्रन्थ नहीं पर संग्रहग्रन्थ प्रतीत होता है। ग्रन्थ की प्राकृत भाषा भी दिगम्बरीय शौरसेनी है, जो १२वीं शताब्दी से प्राचीन नहीं। छन्दोभंग जैसी भूलों को ध्यान में न भी लें तो भी व्याकरण सम्बन्धी ऐसी अनेक अशुद्धियाँ हैं जो दिगम्बरीय प्राचीन साहित्य में नहीं देखी जातीं। परन्तु बारहवीं तेरहवीं शती और इसके बाद के ग्रन्थों में इनकी भरमार है। संग्रहकार ने शताधिक गाथाएँ श्वेताम्बर ग्रन्थों से लेकर इसमें रख दी हैं। केवल 'त 'य' के स्थान पर दिगम्बरीय शौरसेनी का 'द' बना दिया है । नमूने के रूप में कुछ गाथाओं के अङ्क हम नीचे उद्धृत करते हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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