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________________ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण आज कथा साहित्य ने कुछ विकृत रूप धारण कर लिया है क्योंकि उसमें कुंठा, विकृति, संत्रास तथा आवेगों को उत्तेजित करने के ही स्वर अधिक मिलते हैं, प्रसन्न अभिव्यक्ति के नहीं । साथ ही उनमें सांस्कृतिक मूल्यों का विघटन, जीवन की विशृंखलता एवं विसंगतियां भी उभरी हैं किंतु आचार्य तुलसी ने जो कथाएं लिखी हैं या उपदेशों में कही हैं, वे एक विशिष्ट प्रभाव को उत्पन्न करने वाली हैं क्योंकि उनमें समग्र जीवन के अनेक पहलुओं की अभिव्यक्ति है । २६ उन्होंने केवल मनोरंजन के लिए कथा का सहारा नहीं लिया बल्कि जटिल से जटिल विषय को कथा के माध्यम से सरल करके पाठक के सामने प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। उनके द्वारा प्रयुक्त कथाओं में चिन्तन एवं मनन से प्राप्त दार्शनिक एवं सामाजिक तथ्यों की प्रस्तुति के साथ ही साथ प्रत्यक्ष जीवन से निःसृत तथ्यों का प्रगटीकरण भी हुआ है । यही कारण है कि जब वे अपने प्रवचन में कथा का उपयोग करते हैं तो उसका प्रभाव वक्ता के हृदय तक पहुंचता है । यहां उनके द्वारा प्रयुक्त एक कथा प्रस्तुत की जा रही है जिसके द्वारा उन्होंने राजनेताओं को मार्मिक ढंग से प्रतिबोधित किया हैएक व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से बहुत सम्पन्न था; पर था कंजूस । अपना और अपने परिवार का पेट काटकर उसने करोड़ों रुपये एकत्रित किये । उन सब रुपयों को उसने हीरों- पन्नों में बदल लिया। सारे जवाहरात एक पेटी में रखकर उसने ताला लगा दिया । उसे अपने बाल-बच्चों का भी भरोसा नहीं था । इसलिए पेटी की चाबी वह अपने सिरहाने रखकर सोने लगा । एक बार की बात है। रात्रि के समय उसके घर में चोर घुस गए । उन्होंने तिजोरी तोड़ी और जवाहरात की पेटी निकाली । उसी समय घर के लोग जाग गए। चोर पेटी लेकर भाग गए। लड़कों ने पिता को संबोधित कर कहा - 'पिताजी! आपके जीवन भर की इकट्ठी की गई सम्पत्ति चोर ले जा रहे हैं।' पिता निश्चिन्तता से बोला- 'पुत्रो ! ये चोर मूर्ख हैं । पेटी ले जा रहे हैं, पर चावी तो मेरे पेटी कैसे खोलेंगे और कैसे जवाहरात निकालेंगे ? तुम चिन्ता मत करो । पास है । बिना चाबी आज के हमारे राजनेता भी सोचते हैं कि जब पास है तो हमारे चरित्र के आभूषणों की पेटी कोई क्या अन्तर पड़ेगा ? पर वे नहीं जानते कि पेटी का चाबी का क्या उपयोग होगा ? जब किसी व्यक्ति के जाती है, तब उसके पास सत्ता की चाबिया भी कौन सत्ता की चाबी हमारे चुराकर ले भी जाए तो ताला टूट जाएगा । तब चरित्र की धज्जियां उड़ रहने देगा ?" 'बूंद भी : लहर' भी पुस्तक उनका कथा संकलन है । यद्यपि उनकी १. समता की आंख : चरित्र की पांख पृ० ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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