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________________ ३३८ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण पुस्तकों के नाम देने से अनावश्यक विस्तार हो जाता। यदि दो भिन्न-भिन्न पृष्ठों पर एक ही लेख है तो हमने उन दोनों पृष्ठों का उल्लेख किया है तथा जहां एक ही पृष्ठ पर दो बार वही दिनांक है तो पृष्ठ का उल्लेख एक ही बार किया है। आचार्य श्री तुलसी के कुछ महत्त्वपूर्ण लेख या संदेश विशेष अवसरों पर प्रेषित भी किए गए हैं उनके सामने हमने 'प्रेषित' का संकत कर दिया है जिससे पाठक को अम न हो कि इस सन् में आचार्य तुलसी अमुक स्थान पर कैसे पहुंच गए. क्योंकि हमने प्रेषित स्थान का उल्लेख किया है। जहां दिनांक एवं सन का उल्लेख नहीं है वहां हमने (-) का निशान दे दिया है। जहां प्रवचन में कवल काल का निर्देश है स्थान का नहीं है उनको हम इस परिशिष्ट में सम्मिलित नहीं कर सके । दिल्ली. बम्बई जैसे बड़े शहरों के उपनगरों में हुए प्रवचनों को हमने उस शहर के अन्तर्गत ही रखा है। जैसे बगला, सिक्का नगर, थाला आदि को बम्बई में तथा कीर्तिनगर, महरौली, सब्जी मंडी आदि को दिल्ली में। टिप्पण में दिए गए सन् एवं महीने में यदि कहीं त्रुटि रही है तो उसे हमने उस परिशिष्ट में सुधार दिया है लेकिन दिनांक का सुधार नहीं किया क्योंकि इससे पाठक को देखने में असुविधा रहती। इसी प्रकार पुस्तक के टिप्पण में ५-७ स्थानों पर सन् ७८ में गंगाशहर क स्थान पर गंगानगर छप गया है उसे भी हमने परिशिष्ट में 'गंगाशहर' में ही प्रकाशित किया है। . ... इसके अंत में इसी परिशिष्ट में विशिष्ट प्रवचनों की सूची भी दी है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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