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________________ परिशिष्ट २ पक्ष-विपक्ष को समझें पथदर्शन परिवर्तनशील परिस्थितियों में अणुव्रत परिवार नियोजन एक प्रश्न प्रकाश की आवश्यकता प्रतिबोध प्रत्येक कार्य में सत्य के बिना काम नहीं चल सकता प्राकृतिक चिकित्सा प्रेक्षाध्यान की प्रेक्षा व समीक्षा प्रेम और सत्य एक ही हैं प्रेयस् और श्रेयस् बंगला देश का नरसंहार मानवता के लिए लज्जाजनक बच्चों के संस्कार और महिला वर्ग बढ़ते सुविधावाद पर अंकुश जरूरी बड़ा कौन ? बलिदान की भावना का विकास आवश्यक बालकों का भाग्यनिर्माण और अभिभावक बुराई को मिटाने के लिए संस्कार- परिवर्तन की आवश्यकता है। भगवान् महावीर का अणुव्रत धर्म भगवान् महावीर की जीवन गाथा की बिभीषिका आज एक दूसरे में अविश्वास उत्पन्न कर रही है भागो नहीं, अपने को बदलो भारत अन्तरंग स्वतंत्रता प्राप्त करे भारत के महान् आदर्श उजागर हों भारतीय उन्नति की रीढ़ भारतीय जनमानस में कुण्ठाएं क्यों ? भारतीय जीवन का मौलिक स्वरूप भारतीय विज्ञान और विश्वशांति भारतीय शिक्षा के सन्दर्भ में अणुव्रत भावी समाज की नींव भिक्षा नोटों की नहीं, खोटों की Jain Education International For Private & Personal Use Only ३२९ १ नव० ८२ १६ अप्रैल ८४ १६ मार्च ७१ १ अग० ६९ १ जन० ५९ १ जन० ७७ १५ अप्रैल ५७ १५ फर० ५९ जुलाई/अग०७९ १ मार्च ७४ १ अक्टू० ५९ १ मई ७१ १ फर० ७५ १६ जून ८४ १ अप्रैल ५८ १६ नव० ६९ जन० २३ अप्रैल ४९ १ सित० ५६ १ मई ८२ अक्टू ४८ जन० ४ १५ सित० ५७ जन० १५ जून ४९ जन० २३ अग० ४९ १६ जन० ७२ १ मार्च ६२ १ जन० ६९ संयम अंक ५८ जन० १६ दिस० ४८ १ जुलाई ४८ संयम अंक ५८ १६ मई ७३ www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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