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________________ परिशिष्ट २ धर्म : जीने की कला' धर्म तुम्हें शांति देगा, सुख देगा धर्म तर्क नहीं, आचरण है धर्म तेजस्वी कब बनेगा ? धर्म दर्शन को समझने के लिए धर्म: निषेधात्मक दृष्टि धर्म प्रधान देश में नैतिकता का अभाव क्यों ? धर्म बुद्धि, विज्ञान और शक्ति से ऊपर हो धर्म या अधर्म प्रधान देश धर्म व्यापक सार्वजनीन तत्त्व है धर्म शांति देता है धर्मसंघ की चतुर्दिक् प्रगति धर्म सत्य और अहिंसा धर्म सर्वशक्तिमान् कब ? धर्म ही शरण है धर्मे जय पापे क्षय धार्मिक कैसे बनें ? धार्मिक कौन ? धार्मिक कौन ? ४ धार्मिक क्रांति की आवश्यकता धैर्य ध्यान का महत्त्व ध्वंस नहीं, निर्माण नए वर्ष का शुभ संदेश नकारात्मक दृष्टिकोण न दाता, न याचक नया वर्ष -- नया चिंतन नया - पुराना नरक स्वयं स्वर्ग में बदल जायेगा नवनिर्माण की रूपरेखा १. २६-९-६८ मद्रास । २. २१ अप्रैल श्रीकरणपुर, रोटरी क्लब । Jain Education International ३०७ १२ अप्रैल ७० १८ जुलाई ७१ ११ अग० ५७ ६ सित० ७० For Private & Personal Use Only ३ फर० ७४ १२ मई ६८ १५ मई ६६ २४ जुलाई ६६ २९ जून ६९ २५ अग० ७४ १३ दिस० ७० १८ मई ६९ ३० जुलाई ६७ जन० ५० १६ अप्रैल ७२ ११ अप्रैल ८२ १५ मार्च ७० २० जुलाई ६९ १ फर० ७० नव० ६९ दिस० ७० १९ अप्रैल ८१ १८ नव० ७३ ४ जन० ७० १६ फर० ६९ १७ नव० ६८ ३ जन० ७१ २७ फर० ७२ १ मार्च ६४ बि० सित० ४६ ३. १-१२ ७० बेतूल । ४. २०-९-६७ अहमदाबाद । www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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