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________________ परिशिष्ट १ २८१ २५६ १४० कुहासे सबसे बड़ा चमत्कार सबसे बड़ा सुख है अनासक्ति सबसे बड़ी आवश्यकता सबसे बड़ी पूंजी सबसे बड़ी त्रासदी सबसे सुन्दर फूल सबसे सुन्दर रचना सबहु सयाने एक मत सभ्यता के नाम पर समग्र क्रांति और अणुव्रत समझौतावादी बनें समता का दर्शन समता का प्रयोग समता का मूर्त रूप : धर्म समता की पौध समता की साधना समत्वदृष्टि समत्व का विकास समत्व के द्वार से नहीं होता है पाप का प्रवेश समन्दर चुनाव का : नौका सिद्धांत की समन्वय समन्वय का मंच समन्वय का मंच : अणुव्रत (१-२) समन्वय का मूल समन्वय को खोजें समन्वय मंच की अपेक्षा समय को पहचानो समय का मूल्य समर के दो पहलू समर्पण ही उपलब्धि समष्टि सुधार का आधार-व्यष्टि सुधार समस्या नाज की : समाधान अणुव्रत का समस्या और समाधान सोचो ! ३ मनहंसा प्रवचन ११ घर/भोर ३०/१७२ बैसाखियां समता २५१ बैसाखियां १५२ लघुता १९५ १२५ वि दीर्घा/अनैतिकता ७९/१९२ प्रवचन ४ १३२ आगे/सोचो ! ३ २७३/९० खोए बूंद-बूंद १ उद्बो/समता ३१/३१ खोए मंजिल १ १५८ मंजिल १ लघुता ९५ ८६ २४ कुहासे ८७ धर्म एक समता/उद्बो अणु गति १३४ ५३/५३ ६८-७६ घर ९३ १९४ प्रज्ञापर्व २८ बैसाखियां १०९ प्रवचन ११ प्रवचन ९ मेरा धर्म मंजिल २/मुक्ति इसी २१/३७ प्रवचन १० ७५ जीवन सूरज १५८ ३३ ३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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