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________________ परिशिष्ट १ शान्ति के लिए अणुव्रतों की उपेक्षा मत कीजिये ज्योति के शान्तिवादियों से प्रगति की शान्तिवादी राष्ट्रों से शान्ति: सुख का मार्ग शाश्वत और सामयिक शाश्वत और सामयिक मर्यादायें शाश्वत तत्त्व शाश्वत धर्म शाश्वत धर्म का स्वरूप शाश्वत मूल्यों की उपेक्षा शाश्वत मूल्यों की सत्ता शाश्वत सत्य : नयी प्रस्तुति शाश्वत सुख का आधार : अध्यात्म शासन तंत्र और नैतिक मूल्य शासन समुद्र है शास्त्र का सत्य : अनुभव का सत्य शास्त्रों में गुंथा चरित्र जीवन में शिकायत का युग शिकायत बनाम आत्म-निरीक्षण शिक्षक और शिक्षार्थी शिक्षक का दायित्व शिक्षक गुरु बने शिक्षक होता है जीवन शिक्षकों की जिम्मेवारी शिक्षा शिक्षा, अध्यात्म और नैतिकता शिक्षा और जीवन मूल्य शिक्षा और शिक्षार्थी शिक्षा और स्वावलंबन शिक्षा का आदर्श शिक्षा का उद्देश्य शिक्षा का उद्देश्य : आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व Jain Education International जन-जन आगे कुहासे प्रवचन प्रवचन १० गृहस्थ / मुक्तिपथ लघुता बैसाखियां बैसाखियां उद्बो / समता प्रवचन ५ अनैतिकता संभल बैसाखियां कुहासे बूंद-बूंद १ जागो ! संभल आलोक में बैसाखियां प्रवचन ९ सूरज सूरज राज बैसाखियां प्रश्न बाहि संभल कुहासे / भोर बब जागे For Private & Personal Use Only २७१ ३२ २० 9 २३६ १७४ ११६ १३३ ७/५ १२४ ३५ १३ ७३/७३ २९ १३० १२२ ७२ १९१ १०४ २१० ५६ १२० १४४ २२१ १९५ १२४ १४७ १४९ ४१ ११७ १२८ १३६/१०० ४० www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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