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________________ परिशिष्ट १ १७ १९३ ४९ यथा प्रजा तथा राजा यथार्थ का भोग यथार्थ की ओर यदि महावीर तीर्थंकर नहीं होते ? यन्त्र का निर्माता यंत्र क्यों बना ? यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा यह सत्य है या वह सत्य है ? यांत्रिक विकास और नैतिकता युग और धर्म युग की आदि और अंत की समस्याएं युग की चुनौतियां और अहिंसा की शक्ति युग की चुनौतियां और युवाशक्ति युग की त्रासदी युग-चिन्ता युग चुनौती दे रहा है युग-चेतना की दिशा : अणुव्रत युग धर्म की पहचान युग बोध : दिशा बोध : दायित्व बोध युग समस्याएं और संगठन युद्ध और भहिंसक प्रतिकार युद्ध और संतुलन युद्ध का अवसर दुर्लभ है युद्ध का समाधान : अहिंसा युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है युद्ध की लपटों में कांपती संस्कृति युद्ध की संस्कृति कैसे पनपती है ? युद्ध समस्या है, समाधान नहीं युद्धारम्भ पर विराम युवक अपनी शक्ति को संभाले युवक उद्बोधन युवक और धर्म युवक कहां से कहां तक युवक कौन ? राज/वि दीर्घा १२६/६४ समता/उद्बो १८५/१८७ संभल १२३ अतीत का/धर्म एक ४/१२१ बैसाखियां जब जागे कुहासे अनैतिकता ५५ भोर १८९ बूंद बूंद २ ८७ अमृत सफर २२/५७ जीवन १२२ बैसाखियां धर्म एक शांति के १०१ वि वीथी/अनैतिकता ३४/२१२ बैसाखियां ज्योति से १५३ बैसाखियां १८९ क्या धर्म ७१ मेरा धर्म लघुता अणु गति १४९ बैसाखियां अनैतिकता १२२ १६ कुहासे बैसाखियां भोर शांति के घर. दोनों बीती ताहि ६३ कुहासे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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