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________________ २१६ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण बूंद-बूंद २ ७७ मंजिल २ २३६ खोए १४४ प्रवचन ४ मंजिल २ दीया १५२ लघुता २१९ दीया १२३ बैसाखियां प्रवचन ४ १०४ जब जागे १०९ आगे अतीत का दीया मनहंसा जीवन १७९ अतीत का मनहंसा प्रवचन ९ कुहासे जब जागे बैसाखियां १९३ समता दीया १८० केवलज्ञान की उत्कृष्टता केवलज्ञान के आलोक में केवल सुनने से मंजिल नहीं केवली और अकेवली केश लुञ्चन : एक दृष्टि कैसा होता है संघ और संघपति का संबंध कैसे खुलेगी भीतर की भांख कैसे चुकता है उपकार का बदला कैसे दूर होगा मन का अंधकार ? कैसे पढ़ें? कैसे बनता है जीव सुलभ-बोधि ? कैसे मनाएं महावीर को ? कैसे मिटेगी अशांति और अराजकता ? कैसे होता है गुणों का उद्दीपन ? कैसे होती है सुगति ? कैसे हो बालजगत् का निर्माण ? कैसे हो मनोवृत्ति का परिष्कार ? कौन करता है कल का भरोसा? कौन किसका ? कौन किसको कहे कौन सा देश है व्यक्ति का अपना देश कौन सा रास्ता ? कौन होता है गुरु ? कौन होता है चक्षुष्मान ? क्या अन्धकार पुद्गल है ? क्या अरति ? क्या आनंद ? क्या आदतें बदली जा सकती हैं ? क्या काल पहचाना जाता है ? क्या खोया : क्या पाया? क्या गृहस्थाश्रम घोराश्रम है ? क्या छाया स्वतंत्र पदार्थ है ? क्या जनतंत्र की रीढ़ टूट रही है ? क्या जातिवाद तात्विक है ? ३५ ५२ २७ १५ प्रवचन लघुता 50 खोए १०१ प्रवचन ८ अमृत/सफर बूंद बूंद १ प्रवचन ८ अणु संदर्भ ६४ १०० अणु संदर्भ १२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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